लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब हिंसक प्रदर्शन करने वालों से निपटने का परमानेंट इलाज कर दिया गया है. बीते दिसंबर महीने में नागरिक संशोधन कानून के विरोध की आड़ में हुए हिंसक प्रदर्शन में नुकसान की भरपाई से शुरू की गई, उत्तर प्रदेश सरकार की मुहिम को अब अमली जामा पहना दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने संपत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन कर दिया है. उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बना है जो अब किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संपत्ति के नुकसान का आकलन कर भरपाई करवाएगा.
हड़ताल, दंगे, विरोध प्रदर्शन, रैली की आड़ में हिंसा करने वालों पर उत्तर प्रदेश सरकार ने शिकंजा कस दिया है. बीते 19 दिसंबर को लखनऊ समेत तमाम शहरों में हुई सीएए-एनआरसी के प्रदर्शन में हिंसा के बाद से हुए नुकसान की भरपाई पर सरकार ने मुहिम छेड़ दी. वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर हिंसा करने वालों के जगह-जगह पोस्टर लगाए गए. मामला कोर्ट तक पहुंचा लेकिन सरकार ने उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020 को पारित कर दिया. इसी अध्यादेश के तहत अब सरकार ने संपत्ति क्षति दावा ट्रिब्यूनल का गठन कर दिया है.
ट्रिब्यूनल का स्वरूप और विशेषताएं
देश का पहला संपत्ति क्षति दावा अधिकरण.
वसूली ट्रिब्यूनल में होंगे एक चेयरमैन और एक सदस्य
ट्रिब्यूनल को होंगी सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां
ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम होगा, नहीं हो सकेगी कहीं अपील
तेजी से वसूली का काम शुरू करेगा ट्रिब्यूनल
सीएए के हिंसक विरोध के बाद उपद्रवियों के खिलाफ पोस्टर लगाकर योगी सरकार ने शुरू की थी वसूली
अब निजी संपत्तियों के नुकसान का भी मुआवजा दंगाइयों से ले सकेंगे लोग
सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश होंगे अध्यक्ष, जबकि संबंधित मंडल के अपर आयुक्त इसके सदस्य होंगे.
लखनऊ और मेरठ में होगा ट्रिब्यूनल
लखनऊ में होगी 12 मंडलों की वसूली
मेरठ में 6 मंडलों की वसूली
क्षतिपूर्ति पाने के लिए 3 महीने के भीतर करना होगा क्लेम
मुकदमे के बाद चार्जशीट के आधार पर ट्रिब्यूनल करेगा वसूली की कार्रवाई.
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के नुकसान की भरपाई करने वाले इस तरीके को देशभर में योगी मॉडल का नाम दिया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनावी प्रचार में जहां-जहां गए उन्होंने यूपी में दंगाइयों से हो रही वसूली का जिक्र किया. यही नतीजा था कि रेलवे के बाद कर्नाटक सरकार ने भी वसूली के इसी योगी मॉडल को अपनाने का फैसला लिया.
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