DGP मामले पर यूपी सरकार ने UPSC को भेजा करारा जवाब, कहा- सिर्फ सीनियरिटी नहीं है चयन का आधार
उत्तर प्रदेश में डीजीपी (DGP) मामले पर सरकार (UP Government) ने यूपीएससी (UPSC) द्वारा चयन को लेकर किए गए सवाल पर करारा जवाब भेजा है.
UP News: उत्तर प्रदेश में डीजीपी (DGP) चयन के मामले पर सरकार (UP Government) ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को करारा जवाब भेजा है. यूपीएससी ने डीजीपी चयन की प्रक्रिया पर सवाल किया था. जिसपर यूपी सरकार ने कहा कि चयन में सिर्फ सीनियरिटी ही आधार नहीं होती अधिकारी की कार्यशैली और कार्यक्षमता भी आधार होती है.
दरअसल, पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल 2006-07 में भर्ती घोटाले के भी आरोपी रहे थे. मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान कानून और व्यवस्था एडीजी थे, तब उन्हें हटाया गया था. जिसके बाद सहारनपुर दंगे में सस्पेंड किए गए थे. डीजीपी रहते अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार की शिकायत के कारण हटाया गया था. जिसके बाद नए डीजीपी के लिए प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लौटाया था.
आयोग का सवाल
आयोग ने पूछा है कि पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम दो वर्ष की अवधि पूरा करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया गया या नहीं? आयोग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए. इस दौरान अगर वे रिटायर हो रहे हों, तब भी दो वर्ष का कार्यकाल दिया जाएगा.
इस वजह से हटाए गए थे डीजीपी
इससे पहले उन्हें अखिल भारतीय सेवा नियमों के उल्लंघन, आपराधिक मामले में सजा, भ्रष्टाचार का मामला साबित होने और कर्तव्यों के निर्वहन में अक्षम होने पर ही हटाया जा सकता है. अगर इनमें से कोई मामला मुकुल गोयल के खिलाफ है तो दस्तावेज दिए जाएं. अगर नहीं हैं तो क्या उन्हें हटाया जाना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना नहीं है? आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए उन सभी अधिकारियों का स्व प्रमाणित बायोडाटा उपलब्ध कराया जाए, जिनकी सेवा अवधि 30 साल पूरी हो चुकी हो और एडीजी रैंक से कम न हों.
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