लखनऊ, एबीपी गंगा। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में बच्चों की मौत के मामले में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा प्रदीप दुबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। प्रमुख सचिव ने कहा कि इस मामले में आरोपी डॉ. कफील अहमद खान को कोई क्लीन चिट नहीं मिली है। डॉ. कफील ने जांच आख्या को गलत तरीके से सोशल मीडिया और मीडिया में प्रसारित किया है। हालांकि प्रेस वार्ता के दौरान प्रमुख सचिव मीडिया के कई सवालों का जवाब देने से बचते नजर आये।


प्रमुख सचिव ने कहा कि 2017 के मामले में डॉ. कफील पर लगे चार में से दो आरोप सही पाये गए हैं। उन्हें नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने और नर्सिंग होम चलाने का दोषी पाया गया है। डॉ. कफील गोरखपुर के मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। इन दोनों आरोपों में उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शासन में चल रही है। डॉ. कफील पर लगे बाकी आरोपों में वार्ड प्रभारी होते हुए पदीय दायित्व न निभाना और ऑक्सीजन की कमी की जानकारी उच्च अधिकारियों को न देना है। इसके अलावा डॉ. कफील के खिलाफ इसी साल जुलाई में एक शिकायत बहराइच के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की तरफ से आई है।


प्रमुख सचिव ने कहा कि शिकायत के अनुसार 22 सितम्बर 2018 को डॉ. कफील 3-4 बाहरी लोगों साथ बहराइच जिला अस्पताल पहुंचे और जबरन बाल रोग विभाग में मरीजों का इलाज करने की कोशिश की। इससे अस्पताल में अफरातफरी मची और PICU में भर्ती गंभीर मरीजों पर खतरा आया। इस मामले में भी FIR दर्ज कराई गई थी और जांच चल रही है। प्रमुख सचिव ने बताया की निलंबन के समय डॉ. कफील ने सम्बद्धता स्थल पर योगदान देने की जगह मीडिया में सरकार विरोधी राजनैतिक टिप्पणियां की। डॉ. कफील पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, लापरवाही के कुल 7 आरोपों की जांच चल रही है।