उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने पुलिस (UP Police) विभाग के स्थायी मुखिया (DGP) के चयन की कवायद शुरू कर दी है. यह पद साढ़े तीन महीने से खाली पड़ा है. सरकार ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए 42 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों (IPS Officers) की एक सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजी है. इसमें डीजी स्तर के 20 और एडीजी स्तर के 22 अधिकारियों के नाम शामिल हैं. ये अधिकारी 1987 से 1992 बैच तक के हैं.
किन लोगों का नाम सरकार ने भेजा है
सरकार ने जिन अधिकारियों के नाम संघ लोक सेवा आयोग को भेजे हैं, उनमें डीजी प्रशिक्षण आरपी सिंह, डीजी कोआपरेटिव सेल जीएल मीणा, भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष राजकुमार विश्वकर्मा, कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान और डीजी कारागार आनंद कुमार के नाम प्रमुख हैं.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल 11 मई को डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटा दिया था. इसके बाद से डीजी इंटेलीजेंस डीएस चौहान को अस्थायी डीजीपी नियुक्ति किया गया था. डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद मुकुल गोयल को सिविल डिफेंस का डीजी बनाया गया था.अभी वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर उन्हीं का नाम है. गोयल को 1 जुलाई 2021 को डीजीपी बनाया गया था.
किस रैंक के कितने अधिकारी हैं
सरकार ने जिन 42 अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे हैं, उसमें डीजी स्तर के 20 और एडीजी स्तर के 22 अधिकारियों के नाम हैं. इनमें से छह डीजी अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवा दे रहे हैं. अभी वरिष्ठता क्रम में मुकुल गोयल पहले, आरपी सिंह दूसरे और जीएल मीणा तीसरे स्थान पर हैं.ये सभी 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं. वहीं केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर गए 1988 बैच के अधिकारी अनिल कुमार अग्रवाल चौथे, आनंद कुमार पांचवें और विजय कुमार छठें नंबर पर हैं.
लखनऊ में चर्चा इस बात की है कि अगर संघ लोक सेवा आयोग प्रस्ताव भेजे जाने की तिथि से नामों पर विचार करेगा तो आरपी सिंह और जीएल मीणा का नाम पैनल से बाहर हो जाएगा. इन दोनों को रिटायर होने में छह महीने से कम का समय बचा है. इस स्थिति में मुकुल गोयल के बाद 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा दूसरे और डीएस चौहान तीसरे स्थान पर होंगे.
कौन बनता है डीजीपी
डीजीपी बनने के लिए किसी आईपीएस अफसर को 30 साल की सेवा अवधि पूरी करना जरूरी है. संघलोक सेवा आयोग वरिष्ठता और अधिकारी के कार्यकाल के रिकॉर्ड की जांच कर पहले तीन नाम का चयन कर राज्य सरकार को भेज देता है. सरकार उनमें से किसी एक नाम का चयन कर लेती है.
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