बस्ती के प्राइमरी स्कूल के बच्चों से कराई गई किताबों की ढुलाई, अधिकारी बोले- कार्रवाई होगी
Basti Today News: सरकारी स्कूल की किताबें जनपद मुख्यालय से बीआरसी पर भेजी जाती है. यहां किताबों को विद्यालयों तक भेजने की व्यवस्था करनी होती है, लेकिन बस्ती में बच्चों से ही किताब ढुलवाया जा रहा है.
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Basti Latest News: सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की ताकि गरीब बच्चे भी अच्छी से अच्छी शिक्षा ले सके, लेकिन सरकारी स्कूल तो ठहरा सरकारी ही तो भला कैसे ये स्कूल बेहतर हो सकता है. इसलिए अपने पुराने ढर्रे पर ही स्कूल के मास्टर साहब इन गरीब बच्चों से व्यवहार करते हैं.
क्या कभी अपने कॉन्वेंट स्कूलों में देखा है कि वहां पढ़ने वाले बच्चों से किताबें, बेंच, मेज या स्कूल का कोई सामान ढोवाया जा रहा हो. इन बच्चों के माता-पिता फीस के तौर पर मोटी रकम जमा करते हैं तो भला कैसे कोई मास्टर की हिम्मत हो कि वह उन बच्चों से कोई काम करवा सके. मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चे कोई फीस नहीं देते क्योंकि उनकी फीस सरकार भर्ती है. शायद इसलिए उनके साथ व्यवहार भी सरकारी जैसा ही होता है.
बस्ती में बच्चों से ढोलवा रहे सरकारी किताब
बस्ती जनपद के एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों से किताब उठवाई जा रही है. जबकि इन बच्चों के हाथों ये किताबे होनी चाहिए थी और इन्हीं किताबों को पढ़कर इन्हें अपना भविष्य सवारना था. सरकार ने नि शुल्क किताबों को परिषदीय स्कूलों तक पहुंचाने की व्यवस्था बनाई है. टेंडर के माध्यम से इसकी ढोवाई करनी रहती है, जिसके बाद यह किताबें विद्यालयों तक पहुंचती है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इन किताबों को गुरुजी और बच्चों से ढोलवा रहे हैं और बिल वाउचर लगाकर खुद वाहन का खर्च हड़प लेते हैं.
विद्यालयों तक किताबें वाहन से नहीं पहुंचाई जा रही
जनपद मुख्यालय से किताबें बीआरसी पर भेजी जाती हैं. यहां से खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) स्तर से किताबों को विद्यालयों तक भेजने की व्यवस्था करनी होती है. किताबों की ढुलवाई में आने वाले वाहन खर्च का बिल वाउचर देने के बाद वाहन स्वामी को भुगतान किया जाता है. यह व्यवस्था होने के बाद भी विद्यालयों तक वाहन से किताबें नहीं पहुंचाई जा रही है. बीआरसी से किताबों का खेप न्याय पंचायत संसाधन केंद्रों पर गिरा दिया जाता है. यहां से संबंधित विद्यालय के टीचर और बच्चे उठाकर ले जाते हैं, जबकि इन किताबों को सीधे स्कूल तक पहुंचाई जानी थी, लेकिन विभागीय अधिकारी इन किताबों को स्कूलों तक पहुंचाने के बजाए न्याय पंचायतों तक पहुंचा कर आगे की जिम्मेदारी शिक्षकों पर छोड़ देते हैं और किताबों की ढोलाई का बिल बाउचर लगाकर धन हड़प लेते हैं.
पांच सौ मीटर दूर से किताब ढोते दिखे स्कूली बच्चे
कुदरहा ब्लाक के सभी न्याय पंचायतों में यह खेल चल रहा है. ब्लाक के कुछ बच्चों का झोले में किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं कि प्राथमिक विद्यालय टिकुईया के मैडम के कहने पर वह पास के एक विद्यालय से किताबों को ले आ रहे हैं. लगभग पांच सौ मीटर दूर से किताब लेकर आ रहे यह बच्चे थके हारे से दिख रहे हैं. सोचने वाली बात तो यह है कि इन बच्चों को अभिभावक स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं या किताब ढोने के लिए. ब्लाक के बीईओ छनमन प्रसाद गौड़ की सुने तो यह कहते हैं कि किताबों को विद्यालय तक पहुंचाने के लिए साधन की व्यवस्था की गई है. क्या यही बच्चे और शिक्षक ही इनके साधन हैं?
वहीं पूरे मामले को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि सभी विद्यालयों में कक्षा तीन से आठ तक किताबें पहुंचा दी गई है. अगर बच्चे किसी विद्यालय से किताबों की ढुलाई कर रहे हैं तो इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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