UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आजीवन कारावास (Life Imrisonment) की सजा भुगत रहे कैदी अब 60 साल की उम्र पूरी होने से पहले भी रिहा हो सकते हैं. यूपी सरकार की नई कारावास नीति (Prison Policy)  के तहत कैदियों को समय पूर्व रिहा करने पर विचार किया जाएगा. हालांकि इसका फायदा केवल हत्या मामले में दोषी साबित किए गए कैदियों को ही मिलेगा. 


क्या है नई कारावास नीति?
नई कारावास नीति के तहत हत्या मामले में दोषी सिद्ध किए किसी कैदी के समय से पहले रिहा किए जाने पर विचार किया जाएगा. इसके लिए उसे बिना छूट 16 साल की सजा पूरी करनी होगी और दूसरी शर्त में किसी कैदी की रिहाई तभी होगी जब उसने छूट के साथ 20 साल की सजा पूरी की हो. बता दें कि यूपी सरकार ने समय पूर्व रिहाई की नीति 2018 में ही तैयार कर ली थी लेकिन उस वक्त समय-सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था. साल 2021 में आजीवन कारावस मामले में रिहाई की उम्र 60 साल रखी गई यानी कि कैदी के 60 साल की उम्र  हो जाने के बाद ही रिहाई होनी तय हुई थी. हालांकि इस नियम को पिछले महीने ही खत्म कर दिया गया है.


'जेल से कम होगी भीड़भाड़'


उधर, इस मामले में यूपी के पुलिस महानिदेशक (कारावास) आनंद कुमार ने कहा कि नई नीति से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को फायदा होगा और यह राज्यभर की जेलों की भीड़ कम होगी. बता दें कि यूपी के प्रयागराज, वाराणसी, फतेहगढ़, इटावा, बरेली और आगरा के केंद्रीय कारागार में दोष सिद्ध किए गए कैदियों को रखा जाता है. इसके अलावा राज्य 63 जिला कारागारों में भी ऐसे कैदी रखे जाते हैं. 


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आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं 12,000 कैदी


उत्तर प्रदेश की जेलों में 70,000 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन मौजूदा समय में 1.14 लाख कैदी वहां बंद हैं. जेल अधिकारी बताते हैं कि इनमें से करीब 30 हजार को दोषी साबित किया गया है. इन 30 हजार में 12 हजार ऐसे हैं जो कि आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. वहीं, मौजूदा नीति के तहत यूपी कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग ने सभी जिला और केंद्रीय कारागारों को चिट्ठी लिखी है। उनसे वैसे कैदियों की जानकारी मांगी गई है जो कि समय-पूर्व रिहाई की श्रेणी में आते हैं. कुछ जेलों ने लखनऊ स्थित कारागार मुख्यालय को कैदियों की जानकारी भेजी है.


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