लखनऊ: उत्तर प्रदेश की यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले लाखों स्टूडेंट को बिना परीक्षा प्रोमोट करने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाएं कराई जाएंगी. इसे लेकर शासन ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. कुछ परिस्थितियों में स्टूडेंट्स को परीक्षा भी देनी होगी. उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में करीब 41 लाख स्टूडेंट्स हैं. 


डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि परीक्षाओं के लिए सेमेस्टर सिस्टम और एनुअल सिस्टम के लिए अलग-अलग निर्देश दिए गए हैं. सेमेस्टर सिस्टम के अंतर्गत जहां स्नातक प्रथम व तृतीय और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षायें हो चुकीं है वहां स्नातक द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम व तृतीय सेमेस्टर के अंको के आधार पर अंतर्वेशन से तथा मिड-टर्म व अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं. जहां विषम एवं सम सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हैं वहां, मिड टर्म व आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर विषम एवं सम सेमेस्टर के परिणाम तथा अंक अंतर्वेशन से निर्धारित किए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सम्पन्न कराई जाएंगी. यदि स्नातक पंचम सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हों, तो अंतिम सेमेस्टर में प्राप्त अंको के अंतर्वेशन से पूर्व सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जा सकते हैं. 


विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए तिथियों का निर्धारण करेंगे
डिप्टी सीएम ने बताया जहां वार्षिक परीक्षा प्रणाली है वहां ऐसे विश्वविद्यालय जहां स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हैं, उनके छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत कर दिया जाएगा तथा वर्ष 2022 में होने वाली उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर अंतर्वेशन से उनके प्रथम वर्ष का परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं. स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए उन्होंने बताया कि ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षायें हुई थीं, वहां प्रथम वर्ष के अंको के आधार पर द्वितीय वर्ष के परिणाम तथा अंक निर्धारित कर छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रोन्नत किया जाएगा. ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षाएं नहीं हुई थीं, उनके द्वारा द्वितीय वर्ष की परीक्षायें कराई जाएंगी और परीक्षा परिणाम के अनुसार तृतीय वर्ष में प्रवेश दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्नातक तृतीय या अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराई जाएंगी. इसी तरह पीजी में प्रमोशन और परीक्षाएं होंगी. सभी परीक्षाएं अगस्त के मध्य तक संपन्न कराने के लिए कहा गया है. हालांकि, विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए तिथियों का निर्धारण करेंगे.


प्रायोगिक परीक्षाएं नहीं की जाएंगी
डिप्टी सीएम ने बताया की प्रायोगिक परीक्षाएं नहीं की जाएंगी. इनके अंको का निर्धारण लिखित परीक्षा के आधार पर किया जा सकता है. जरूरत होने पर मौखिक परीक्षा को ऑनलाइन कराया जाएगा, परीक्षाएं आसानी से कैसे हो सकती है इसका फैसला विश्वविद्यालय लेंगे. हालांकि ये सुझाव दिया गया है कि एक विषय के सभी प्रश्न पत्रों को सम्मिलित करते हुए एक ही प्रश्न पत्र बनाने पर विचार किया जाए. प्रश्न पत्र बहुविकल्पी एवं ओएमआर आधारित हो. परीक्षा का समय अधिकतम डेढ़ घंटा रखने के लिए कहा गया है.  विश्वविद्यालय चाहे तो ऑनलाइन माध्यम से भी परीक्षा करा सकते हैं. अगर परीक्षा का समय घटाया जाता है तो उसी अनुपात में प्रश्न पत्र में प्रश्नों की संख्या को कम करने के लिए भी कहा गया है. 






छात्रों को मिलेगा अवसर 
डिप्टी सीएम ने बताया कि अगर कोई स्टूडेंट कोरोना की वजह से परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता तो उसे संबंधित प्रश्न पत्र की परीक्षा में बाद में शामिल होने का अवसर दिया जा सकता है. सभी परीक्षा फल 31 अगस्त तक घोषित करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं. विश्वविद्यालयों का नया सत्र 13 सितंबर से शुरू होगा. जो स्टूडेंट इस व्यवस्था से परीक्षा के घोषित परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे वह बैक पेपर या अगले सत्र की परीक्षा में शामिल होकर अपने अंको में सुधार कर सकते हैं. इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के कोर्स के संबंध में प्राविधिक शिक्षा विभाग के दिशा निर्देश लागू होंगे. सभी विश्वविद्यालयों को परीक्षा से संबंधित अपनी कार्य योजना 18 जून तक शासन को भेजने के लिए कहा गया है.


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