वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज से दूध क्रांति की नींव रखी गयी. यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को शहंशाहपुर गांव में 14 लोगों को प्रतीकात्मक तौर पर गीर गाय देकर इसकी शुरुआत की. शहंशाहपुर के साथ पड़ोस के सात गांव में आने वाले दिनों में 120 गीर गाय दी जानी हैं जिससे न सिर्फ काशी को दुग्ध उत्पादन में नम्बर वन बनाना है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करने हैं.


लोगों ने जताई खुशी
वाराणसी के शहंशाहपुर गांव के लोग आज उस वक्त उत्साहित हो उठे जब खुशियों की सौगात लेकर गीर गाय गांव में पहुंची. राज्यपाल ने ग्रामीण किसानों को प्रतीकात्मक तौर पर गाय दी तो अनाज उगाने वाले किसान अब दूध की सफल किसानी का सपना सजाने लगे हैं.

राजनीतिक मायने भी हैं
बता दें कि, आने वाले दिनों में पंचायत के चुनाव भी हैं. ग्रामीण स्तर पर गीर गाय का दिया जाना कहीं न कहीं इसके राजनीतिक मायने को भी दिखाता है. जब गांव में गीर गाय होगी और श्वेत क्रांति का संदेश होगा. इससे निश्चित तौर पर विकास का नया आयाम मिलेगा जो आने वाले पंचायत चुनाव में युवाओं को बीजेपी की ओर जरूर आकर्षित करेगा. वैसे गीर गाय का दूध न सिर्फ पौष्टिक होता है बल्कि औषधीय गुणों से लैस भी है.


रोजगार को ग्रामीण स्तर पर स्थापित करने का संदेश
पंचायत चुनाव से पहले गुजरात से ट्रेनिंग लेकर वाराणसी लौटे किसानों को गीर गाय का दिया जाना चुनावी संकेत के साथ विकास और रोजगार को ग्रामीण स्तर पर स्थापित करने का संदेश है. अब देखना होगा कि विपक्ष इसे लेकर सियासत करता है या पीएम मोदी के गीर गाय वाले ग्रामीण मॉडल को खुद के जरिए गांवों तक पहुंचाता है.


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