Balrampur Leopards News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलरामपुर (Balrampur) जिले में पिछले एक महीने में तेंदुए के हमलों में दो बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि तीन अन्य घायल हुए हैं. इससे सुहेलवा वन क्षेत्र के करीब छह दर्जन गांवों के निवासियों में दहशत का माहौल है. इस हफ्ते की शुरुआत में पचपेड़वा थाना क्षेत्र के विशुनपुर गांव में तेंदुए ने 12 साल के बच्चे अमन को अपना निवाला बना लिया था, जबकि एक महीने पहले रमवापुर गांव के घर के आंगन में सो रही पांच वर्षीय रोशनी को तेंदुआ उठा ले गया था और अगले दिन सुबह बच्ची का शव झाड़ियों में मिला था. तेंदुआ एक दर्जन से अधिक मवेशियों को भी मार चुका है.
जंगल से सटे गांवों में तलाश अभियान चलाने के निर्देश दिए गए
बलरामपुर के जिलाधकारी डॉ. महेंद्र कुमार ने बताया कि तेंदुए के लगातार बढ़ रहे हमलों को देखते हुए वन विभाग की टीम को प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन कैमरे लगाने और अलग-अलग टीमें बनाकर जंगल से सटे गांवों में तलाश अभियान चलाने के निर्देश दिए गए है. उन्होंने कहा कि तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजड़ा भी लगवाया जा चुका है. जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को अकेला न छोड़ें और रात में समूह में निकलें तथा टॉर्च का लगातार इस्तेमाल करें. विशुनपुर हटवा के पूर्व प्रधान शमीम अहमद का कहना है कि तेंदुए के आतंक से ग्रामीण अपने खेतों में काम करने और बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगे हैं.
65 गांवो में आदमखोर तेदुएं का आतंक
बलरामपुर और पड़ोसी जिले-श्रावस्ती व गोंडा में 452 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सोहेलवा वन्य क्षेत्र के रमवापुर, रेहरा, विशुनपुर हटवा, बनगवा, सेमरहना, बेलभरिया, परशुरामपुर, मड़नी, गोड़नी, नयानगर, गिद्धहवा और बनकटवा रेंज के अंतरपरी, रत्नवा, बिनहोनी, भटपुरवा सहित करीब 65 गांवो में आदमखोर तेदुएं का आतंक बना हुआ है. विधायक एस पी यादव ने इलाके का दौरा किया और स्थानीय लोगों की समस्या सुनी. यादव ने आरोप लगाया कि श्रावस्ती और बलरामपुर जिले के सैकड़ों गांवों में रहने वाले लाखों लोग तेंदुए के आतंक से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि मासूम बच्चे लगातार तेंदुए का निवाला बन रहे हैं और इस मुद्दे को कई बार विधानसभा में उठाया जा चुका है, लेकिन प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत सरकार कानों में तेल डाले बैठी है.
विधायक एस पी यादव ने ये मांग की
यादव ने मांग की कि यदि प्रभावित गांवों में तार ही लगा दिए जाएं तो बच्चों की मौत के मामलों को कम किया जा सकता है. इस बीच, वन अधिकारियों ने तेंदुए को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. वन रेंज अधिकारी कोटेश त्यागी ने बताया कि तेदुएं को पकड़ने के लिए वन विभाग की तरफ से पिंजड़ा लगाया गया है और दो टीमें बनाकर पूरे क्षेत्र में तलाश अभियान चलाया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि वन अधिकारियों द्वारा तेंदुए को पकड़ने के लिए किए जा रहे प्रयास अप्रभावी साबित हुए हैं.
एक दशक से अधिक समय से वन क्षेत्र में संरक्षण के प्रयासों की देखरेख कर रहे डॉ. नागेंद्र सिंह ने कहा, “तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है. तेंदुए के प्राकृतिक जीवन में मानवीय हस्तक्षेप भी बढ़ा है. इससे मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि हुई है. अगर जल्द ही प्रयास नहीं किए गए तो स्थिति बिगड़ सकती है.”