UP News: स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में तबादलों पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने जवाब तलब किया है. अब एक-एक कर विभागीय अधिकारियों के ही ऐसे लेटर सामने आने लगे हैं जो बताते हैं कि इन तबादलों ने पूरी व्यवस्था गड़बड़ा दी है. ऐसा ही एक लेटर है नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) की डायरेक्टर अपर्णा उपाध्याय का है, जो खुद IAS अधिकारी हैं. उन्होंने 2 जुलाई को अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखकर तबादलों से पैदा हुई समस्या के बारे में बताया है.


पत्र में कही ये बात
अपर्णा उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के 8 जिला स्तरीय अस्पतालों में 3 वर्षीय डीएनबी कोर्स और 2 वर्षीय पोस्ट एमबीबीएस कोर्स चलते हैं. जो डॉक्टर्स के ट्रांसफर हुए उनमें तमाम ऐसे भी हैं जो इन कोर्स में फैकल्टी हैं. जबकि एनबीई की बंदिश है कि इन कोर्स की प्रत्येक विभाग में 2 टीचिंग फैकल्टी अनिवार्य है. 


किया है ये अनुरोध
उन्होंने पत्र में ये भी लिखा है कि 2 मई को ही एक पत्र लिखकर इन डॉक्टर्स को तबादले से अलग रखने का अनुरोध किया गया था. अगर इन डॉक्टर्स का तबादला निरस्त नहीं हुआ तो एनबीई की समीक्षा में इन कोर्स के मानक पूरे न होने पर उनकी सीट्स निरस्त कर दी जाएगी, जो प्रदेश के लिए गंभीर समस्या बन सकती है. मालूम हो की इन कोर्स को करने के बाद विशेषज्ञ डॉक्टर्स मिलते हैं.


आइये अब आपको बताते हैं की किस डीएनबी कोर्स चलाने वाले किस अस्पताल से कितने ट्रान्सफर हुए, जिनकी लिस्ट अपर मुख्य सचिव को मिशन डायरेक्टर ने भेजी है.


ये है लिस्ट



  • बलरामपुर अस्पताल, लखनऊ में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 4 डॉक्टर्स का तबादला

  • सिविल अस्पताल, लखनऊ में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 4 डॉक्टर्स का तबादला

  • SSPG अस्पताल, वाराणसी में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 1 डॉक्टर्स का तबादला

  • महाराणा प्रताप हॉस्पिटल, बरेली में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 3 डॉक्टर्स का तबादला

  • UHM हॉस्पिटल, कानपुर नगर में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 4 डॉक्टर्स का तबादला

  • TB सप्रू हॉस्पिटल, प्रयागराज में डीएनबी कोर्स की फैकल्टी 1 डॉक्टर्स का तबादला


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डॉक्टर्स की कमी से हो रही समस्या
पत्र में कहा गया है कि डॉक्टर्स के तबादलों में लापरवाही और गड़बड़ी का नतीजा मरीजों को भी भुगतना होगा. लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि उनके यहां हर महीने करीब 300 महिलाओं की डिलिवेरी होती है. इसमें लगभग 50 फीसदी सिजेरियन और इतनी ही नार्मन हैं. इसके लिए लगभग 10 से 11 गायनाकोलॉजिस्ट की जरुरत है. जबकि उनके यहां सिर्फ 7 गायनाकोलॉजिस्ट हैं. किसी तरह काम चला रहे हैं. 


अब इनमें से 2 का तबादला कर दिया गया और उनकी जगह किसी को भेजा नहीं. ऐसे में अब सिर्फ 5 गायनाकोलॉजिस्ट रह जाती हैं. जाहिर है कि मरीजों की मुश्किल बढ़ेगी. जिन 2 गायनाकोलॉजिस्ट का तबादला हुआ है, उनमें एक के पति भी सरकारी डॉक्टर हैं. ऐसे में दाम्पत्य पालिसी को देखते हुए इन्हें एक जिला मिलना चाहिए. लेकिन दोनों डॉक्टर पति-पत्नी को अलग जिले भेज दिया है. इसके अलावा प्रदेश में जिन डॉक्टर्स का तबादला हुआ है. उनमें एक और ऐसा नाम सामने है, जिनका निधन हो चुका है.


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