लखनऊ. आज से ठीक पांच महीने पहले जब देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा हुई तो उत्तर प्रदेश में कुल 37 कोरोना पॉजिटिव केस थे. लेकिन पांच महीने में कोरोना का संक्रमण इस तेजी से फैला की प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1 लाख, 92 हज़ार 382 पहुंच चुकी है. इतना ही नहीं, कोरोना काल की शुरुआत में जिस KGMU ने टेस्टिंग से लेकर इलाज तक की कमान संभाली थी, अब वहां के डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ भी तेजी से इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इन पांच महीनों में कोरोना संक्रमण उत्तर प्रदेश को अपनी चपेट में लेता गया.


केजीएमयू में 200 ज्यादा डॉक्टर व नर्स संक्रमित


किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में इस समय वहां के कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, डीन, एमएस, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष समेत तमाम अधिकारी, डॉक्टर, स्टाफ कोरोना की चपेट में हैं. कुल मामलों की बात करें तो अब तक KGMU में 200 से अधिक डॉक्टर्स, प्रशासनिक अधिकारी और अन्य स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुका है. इन हालात को देखते हुए KGMU में अब सभी स्टाफ की मास टेस्टिंग कराई जा रही है, जिससे जो बिना लक्षण वाले केस हैं वो भी सामने आ जाये और उन्हें आइसोलेट किया जा सके.


मार्च में हालात...
- 24 मार्च प्रदेश में कुल केस-37
- 24 मार्च प्रदेश में कुल एक्टिव केस-26
- 24 मार्च को कुल मौतें- 0
- 24 मार्च को प्रदेश में टेस्टिंग लैब की संख्या-1 (KGMU)
- 24 मार्च तक प्रदेश में रोज़ाना करीब 100 से 200 सैंपल टेस्ट होते थे


अगस्त में हालात..
- 24 अगस्त प्रदेश में कुल केस 1,92,382
- 24 अगस्त प्रदेश में कुल एक्टिव केस 49,288
- 24 अगस्त प्रदेश में कुल मौतें- 2,987
- 24 अगस्त को प्रदेश में टेस्टिंग लैब की संख्या-199 (सरकारी और निजी)
- आज प्रदेश में रोज़ाना 1 लाख से अधिक सैंपल टेस्टिंग
- प्रदेश में कुल बेड की संख्या 1,58,000 से अधिक
- लखनऊ में कुल बेड की संख्या 9,843


स्वास्थ्य मंत्री से एबीपी गंगा ने की बात


प्रदेश में कोरोना के हालात को लेकर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने एबीपी गंगा संवाददाता शैलेश अरोड़ा से खास बात की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगने से वायरस का फैलना सीमित था. लॉकडाउन खुलने के बाद वायरस फैलने लगा, केस बढ़े. हालांकि प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से हमारे यहां बाकी जगह से कम केस हैं. प्रदेश में 72.8 फीसदी रिकवरी रेट है, हमारा डेथ रेट भी देश के एवरेज से कम हैं. उन्होंने कहा वायरस को काबू नहीं कर सकते, हमारी रणनीति सबको चिन्हित करना जिससे ये आगे न फैले. हम टेस्टिंग की मशीन बढ़ा रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक टेस्टिंग हो.


आगरा में हालात अब नियंत्रण में


सीएचसी, पीएचसी,जिला अस्पताल में ओपीडी चल रहे हैं. फिलहाल केजीएसयू, एसजीपीजीआई, लोहिया समेत अन्य बड़े संस्थानों में स्टाफ के संक्रमित होने से नॉन कोविड का इलाज थोड़ा प्रभावित है. आगरा में अधिक केस निकलते थे तो हमने ज़िम्मेदारों को बदला, रणनीति बदली, हालात सुधरे, अब नियंत्रण में हैं. अब लखनऊ और कानपुर पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, रणनीति के तहत काम कर रहे हैं.


रैपिड रिस्पांस टीम के माध्यम से कांटेक्ट ट्रेसिंग बढ़ाई. प्रदेश में कई जगह अब गिरावट आई है. लोग भी लापरवाही कर रहे, मास्क कम पहनते हैं, लेकिन हमें अपना काम करना है. उम्मीद है यहां भी पीक के बाद कुछ दिन में केस कम होगा. सात जिला अस्पतालों में RTPCR मशीन लगा चुके हैं, जल्द 2-3 और लगाएंगे. लखनऊ के सिविल अस्पताल में RTPCR मशीन लगाने जा रहे हैं. वेक्टर बोर्न डिजीज से जुड़ी लैब हर जिला अस्पताल में लगाने की प्लानिंग है.


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