Holika Dahan Katha: देश में इन दिनों होली (Holi) के त्योहार की धूम है. इस साल होली 17 मार्च को मनाई जाने वाली है और 18 मार्च शुक्रवार को रंग गुलाल के साथ होली खेली जाएगी. यूपी में होली का खास महत्व है. कृष्ण की नगरी मथुरा में होली कई दिन पहले से ही खेली जाती है. लेकिन होलिका दहन फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन किया जाता है. होलिका दहन रंगों की होली से एक दिन पहले किया जाता है और कहा जाता है कि इस दिन होलिका दहन (Holi Dehan) की पौराणिक कथा का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. चलिए बताते हैं आपको कि क्यों किया जाता है होलिका दहन और क्या है इसकी कथा...


ये है होलिका दहन की कथा


बता दें कि होलिका दहन की कथा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार विष्णु भगवान के एक भक्त प्रहलाद का जन्म असुर परिवार में हुआ. हिरण्यकश्यप को भगवान के प्रति प्रहलाद की भक्ति बिल्कुल पसंद नहीं थी. वहीं, प्रहलाद किसी दूसरी चीज की चिंता किए बिना भक्ति में लीन रहता था.


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हिरण्यकश्यप ने की प्रहलाद को मारने की कोशिश


प्रहलाद का ये स्वभाव हिरण्यकश्यप पसंद ना होने के कारण उसने प्रहलाद को कई यातनाएं दीं. कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की. परन्तु भगवान विष्णु के प्रभाव के कारण वो हमेशा असफलता का ही सामान करना पड़ा. फिर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की बात अपनी बहन होलिका से कही. होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में नहीं जलेगी. इसलिए हिरण्याकश्यप ने प्रहलाद को होलिका की गोद में बैठा कर अग्नि में बैठा दिया.


आग में जलकर राख हुई होलिका


लेकिन उस अग्नि में प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई. तभी से होलिका दहन की प्रथा शुरू हो गई. और इसी खुशी में अगले दिन रंग खेला जाता है. होलिका पूजा के दौरान इस कथा को पढ़ने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि अगर ये कथा पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ी जाए तो भगवान सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.


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