Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के लिए कल शनिवार 1 जून को वोटिंग होगी, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी. इस बार चुनाव के शुरुआती चरण में जहां बीजेपी धर्म और राम मंदिर की पिच तैयार की थी, विपक्ष ने उसे बड़ी चालाकी से जातीय समीकरण में बदल दिया. जिसके बाद ये मुद्दा इतना हावी हो गया कि बीजेपी को भी आरक्षण और संविधान पर सफाई देनी पड़ी. 


2014 और 2019 के चुनाव जिस तरह से बीजेपी ने सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ सभी जातियों को जोड़ा था, वो समीकरण विपक्ष ने संविधान, आरक्षण ख़त्म करने और पीडीए का नारा देकर तोड़ दिया. यूपी के चुनाव में जातीय समीकरण की सबसे अहम भूमिका होती है. जिसने इसके गणित को साध लिया वो उसकी राह आसान हो जाती है.  


यूपी का जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 17-19% सवर्ण वोटर रहते हैं जो बीजेपी का कोर वोट बैंक माने जाते हैं. इनमें ब्राह्मण 10%, राजपूत 5%, वैश्य- 2%, भूमिहार 2% और अन्य जातियां शामिल हैं. 


ओबीसी जातियों को समीकरण
यूपी में 40% फीसद से ज्यादा पिछड़ी जातियां शामिल हैं, जिनका झुकाव जिस तरह होता है उसकी जीत तय मानी जाती है. पिछले दो चुनाव में बड़ी संख्या में पिछड़ी जातियों ने बीजेपी के पक्ष में वोट दिया था, जिसकी वजह से भाजपा इतनी बड़ी जीत दर्ज कर पाई. आज भी ओबीसी का बड़ा वर्ग बीजेपी के साथ दिखाई देता है. इनमें ज्यादातर गैर यादव वोटर्स हैं. यादव पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के साथ दिखाई देता है.  


यूपी में 42-43 फीसदी ओबीसी वोटर्स हैं. इनमें 10 फीसदी यादव, कुर्मी– 5, मौर्या– 5 फीसदी, जाट– 4 फीसदी, राजभर– 4 फीसदी, लोधी– 3 फीसदी, गुर्जर– 2 फीसदी, निषाद, केवट, मल्लाह– 4 फीसदी और अन्य– 6 फीसदी जातियां शामिल हैं. 


दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या
इनके अलावा दलित वोटर्स की संख्या भी 21 फीसदी है. इनमें जाटव– 11 फीसदी, पासी– 3.5 फीसदी, कोरी– 1 फीसदी, धोबी– 1 फीसदी, खटिक, धनगर, बाल्मिकी और अन्य– 4.5 फीसदी जातियां हैं. यूपी में मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं और कई सीटों पर अहम भूमिका निभाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक यूपी में करीब 19 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं.  


सीएम योगी के बाद प्रियंका गांधी का नंबर, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती और आकाश आनंद काफी पीछे