(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP News: खत्म होगा कानपुर स्टेशन पर बंदरों का आतंक! राहत दिलाने के लिए लिया 'लंगूर' का सहारा
कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर यात्रियों को बंदरों से होने वाली परेशानी से बचाने के लिए 'लंगूर' का सहारा लिया जा रहा है, बता दें कि कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर लोग बंदरों के आतंक से बेहद परेशान हैं.
कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर अफसरों ने लाल मुंह वाले बंदरों के आतंक से यात्रियों को निजात दिलाने के लिए अनूठी पहल की है. प्रयोग के तौर पर कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर काले मुंह वाले बंदरों यानी लंगूर के पोस्टर्स और कटआउट लगवाए गए हैं.
अफसरों का मानना है कि बंदर, लंगूर से डरते हैं और कटआउट और उसमें से निकलने वाली लंगूर की आवाजों से डरकर बंदर भाग जाएंगे और यात्रियों को परेशान नहीं करेंगे. कानपूर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर बंदरों का आतंक देखने को मिलता है.
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बंदरों से परेशान हैं यात्री
अक्सर बंदर यहां पर यात्रियों को परेशान करते नजर आ जाते हैं. कभी बंदर यात्रियों को दौड़ाते हैं तो कभी उनका सामान छीन लेते हैं. कई बार बंदर यात्रियों को काट कर घायल भी कर चुके हैं. बंदरों को प्लेटफार्म से दूर रखने के सारे प्रयास विफल साबित होते रहे हैं.
ऐसे में कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों ने प्लेटफार्मों से बंदरों को भगाने के लिए उनके दुश्मन लंगूर के जगह जगह कटआउट लगवाने का फैसला किया है. जिसके चलते सेंट्रल पर बन्दरों का आतंक खत्म हो सके. साथ ही ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिससे लंगूरों के कटआउटस से लंगूरों की आवाज भी आए.
जानें क्या कहना है डिप्टी सीटीएम हिमांशु शेखर उपाध्याय का?
सेंट्रल स्टेशन के डिप्टी सीटीएम हिमांशु शेखर उपाध्याय की मानें तो प्लेटफार्म से बंदरों को भगाने का नया प्लान बनाया है. लंगूर के सामने लाल मुंह वाले बन्दर भाग जाते हैं. उनकी इसी दुश्मनी का फायदा उठाने के लिए डिप्टी सीटीएम ने स्टेशन में जगह जगह लंगूरों के कटआउट लगवाये हैं. उन्होंने ऐसे पांच कटआउट अभी प्लेटफार्म पर लगवाए हैं. उनका कहना है कि प्लेटफार्म पर बंदरों से यात्री काफी परेशान हैं.
दिख रहा है लंगूर के कटआउट का असर
सरकारी विभाग होने से वो सीधे यहां लंगूर बंदर नहीं रख सकते इसलिए लंगूर के कटआउट लगवा रहे हैं. अभी उन्होंने जहां जहां ऐसे कटआउट लगवाए हैं वहां पर बन्दर कम आ रहे हैं. अब इसमें लंगूर के गुर्राने वाली वाइस चिप भी लगाने जा रहे हैं. हालांकि इससे पहले वन विभाग की मदद से बंदरो को पकड़ कर दूर जंगलों में छोड़ने का काम किया जा चुका है. जिसका कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला और फिर से बंदरों की भरमार हो गई.
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