Kanwar Yatra 2024 Name Plate Controversy: सावन महीने में कांवड़ यात्रा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों और ठेलों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था. हालांकि 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी. हालांकि भले ही आदेश पर रोक लग गई हो लेकिन अभी भी योगी सरकार का आदेश चर्चा में है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार दुकानों पर नाम लगाने की मांग मुजफ्फरनगर के रहने वाले स्वामी यशवीर सिंह ने की थी. 


कौन हैं स्वामी यशवीर सिंह


बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार स्वामी यशवीर सिंह का पश्चिमी यूपी के जिला मुजफ्फरनगर के बघरा गाँव में 'योग साधना यशवीर आश्रम' हैं. करीब दो दशक पहले की स्वामी यशवीर सिंह ने इस आश्रम की स्थापना की थी. हालांकि जब उनसे उनके बारे में पूछा जाता है तो वह चुप्पी साध लेते हैं और कहते हैं कि संतों से उनके जीवन के बारे में नहीं पूछा जाता है और अभी हम हिंदू संत हैं और यही हमारी पहचान है. हालांकि आश्रम की स्थापना करने से पहले वो हरियाणा में कई जगहों पर रहे और वहीं पर योग सीखा.


बता दें कि संत यशवीर महाराज ने ही जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कांवड़ रूट में पड़ने वाले मुसलमानों के होटलों-ढाबों के नामों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि यदि सभी होटल और ढाबों पर उनके मालिकों का नाम नहीं लिखा गया तो वह आंदोलन करेंगे. वहीं स्वामी यशवीर दावा करते हैं कि वो मुसलमानों के विरोध में नहीं बल्कि हिंदू धर्म की शुद्धता और पवित्रता के लिए आंदोलन चला रहे हैं.


पंचायत में दी विवादित टिप्पणी


स्वामी यशवीर सिंह का नाता विवादों से भी रहा है, साल 2015 में पैगंबर मोहम्मद पर भी उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी. मुजफ्फरनगर के शामली में एक पंचायत के दौरान उन्होंने मंच से पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी. इस दौरान इस पंचायत में बीजेपी के कई स्थानीय नेता भी मौजूद थे. इस मामले को लेकर स्वामी यशवीर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और समाज में द्वेष फैलाने के आरोपों के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था. इसके साथ ही उन्हें जेल भी भेजा था और वह करीब साढ़े सात महीने जेल में रहे थे. जब वह जेल गए थे तब प्रदेश में सपा की सरकार थी और उनके खिलाफ रासुका की धारा भी जोड़ी गई थी, हालांकि अगस्त 2016 में जब प्रशासन ने रासुका हटाई तब उनकी जेल से रिहाई हो सकी.


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