(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को रोकेगी यूपी सरकार, 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट को दी गई मंजूरी
यूपी सरकार ने बलात्कार तथा बच्चों के प्रति अपराधों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए 218 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन अदालतों के गठन पर होने वाले खर्च का 60% हिस्सा केंद्र सरकार तथा 40% हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी
लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकार हजारों महिलाओं और बच्चों के लिए इंसाफ की एक उम्मीद जगा दी है। कैबिनेट की बैठक में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में 200 से ज्यादा फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन को मंजूरी दे दी है। इनमें सिर्फ महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और बच्चों के यौन शोषण के मामलों की तेज सुनवाई होगी। फास्ट ट्रैक अदालतों की वजह से बरसों से कोर्ट में विचाराधीन मामलों की तेज सुनवाई के बाद दोषियों को जल्द सजा भी मिल सकेगी
यूपी सरकार ने बलात्कार तथा बच्चों के प्रति अपराधों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए 218 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन अदालतों के गठन पर होने वाले खर्च का 60% हिस्सा केंद्र सरकार तथा 40% हिस्सा राज्य सरकार उठाएगी। हर नई फास्ट ट्रैक कोर्ट में वेतन तथा अन्य मदों पर 75 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है।
Brajesh Pathak, UP Law Minister: In the view of crimes against women and children, 218 fast track courts to be established- 144 courts to hear rape cases and 74 courts to hear POCSO cases; Presently, there are 42389 POCSO cases and 25749 rape cases pending. (file pic) pic.twitter.com/zMIuItYwyp
— ANI UP (@ANINewsUP) December 9, 2019
218 फास्ट ट्रैक कोर्ट में 144 नियमित फास्ट ट्रैक कोर्ट होंगे जिनमें सिर्फ दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई होगी। जबकि, 74 फास्ट ट्रैक कोर्ट सिर्फ पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों के लिए होंगे। हर कोर्ट के गठन में 75 लाख रुपयों का खर्च आएगा। जिसका 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार और 40 फीसदी खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इन अदालतों के लिए 218 अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों की नियुक्ति होगी और उनके साथ 7 सहयोगी स्टाफ भी होंगे।
बता दें कि यूपी में इस वक्त सिर्फ बच्चों से जुड़े 42 हजार 379 मामले लंबित हैं जबकि महिलाओं से जुड़े 25 हजार 749 मामले विचाराधीन हैं। लेकिन अब इन सभी मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी ताकि हर मामले की तय वक्त में सुनवाई खत्म हो सके और दोषियों को बिना देरी हुए जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके।
मुख्यमंत्री योगी ने महिला अपराध के मामलों में तेजी लाने के लिए भले ही फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन को मंजूरी दे दी है लेकिन बिना पुलिस की मुस्तैदी के उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलना असंभव है। इसकी सच्चाई एबीपी गंगा के रिएलिटी चेक के तौर पर पूरा प्रदेश, सत्ता और सिस्टम भी देख भी चुका है। ऐसे में पुलिस तंत्र को भी फास्ट बनाए बिना फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है।
योगी सरकार की पहल पर एक नजर
बेटियों को जल्द इंसाफ की पहल महिला और बाल अपराध के लिए यूपी में फास्ट ट्रैक कोर्ट यूपी में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करेगी योगी सरकार 144 फास्ट ट्रैक अदालतें होंगी नियमित इन अदालतों में सिर्फ दुष्कर्म के मामलों की होगी सुनवाई 'पॉक्सो एक्ट' के मामलों के लिए 74 फास्ट ट्रैक कोर्ट हर फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन पर होगा 75 लाख का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी 60 फीसदी खर्च राज्य सरकार 40 फीसदी खर्च उठाएगी 218 अतिरिक्त न्यायाधीशों की होगी नियुक्ति हर फास्ट ट्रैक कोर्ट लिए 7 सहयोगी स्टाफ बाल अपराध से जुड़े 42,379 मामले विचाराधीन महिला अपराध से जुड़े 25,749 मामले लंबित नए फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी सभी मामलों की सुनवाई