यूपी विधान परिषद: दूसरे दौर के मतदान की तैयारी कर रही BJP, इतनी सीटें मिलना तय
स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा को उच्च सदन में फिर से नामित किया जाएगा, जबकि शेष छह सीटों के लिए दौड़ जोर पकड़ रही है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अब अपनी निगाहें राज्य विधान परिषद के अगले चुनावों पर केंद्रित कर दी हैं, जिसके अगले महीने होने की संभावना है. उच्च सदन की 11 सीटें अगले साल 30 जनवरी को खाली हो जाएंगी. इन 11 सीटों में से समाजवादी पार्टी (सपा) के पास छह सीटें हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पास क्रमश: तीन और दो सीटें हैं.
अगले महीने विधान परिषद से सेवानिवृत्त हो रहे बीजेपी नेताओं में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, यूपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राज्य के बीजेपी उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य शामिल हैं, जो पार्टी का दलित चेहरा हैं. उच्च सदन की एक सीट के लिए वोट काउंट 35 है और 309 विधायकों के साथ बीजेपी आसानी से आठ सदस्यों को भेज सकती है और उसके बाद भी उसके पास 29 वोट बचे रह जाएंगे. नौ विधायकों वाले अपना दल की मदद से बीजेपी अपने नौवें उम्मीदवार को भी उच्च सदन भेज सकती है.
छह सीटों के लिए दौड़ जोर पकड़ रही है
स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा को उच्च सदन में फिर से नामित किया जाएगा, जबकि शेष छह सीटों के लिए दौड़ जोर पकड़ रही है. समाजवादी पार्टी, जिसके पास केवल 49 विधायक हैं, वह परिषद में 14 वोट शेष रहते हुए एक सीट को बरकरार रख सकती है. 30 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले छह सपा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) में अहमद हसन, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जाटान राजभर, वीरेंद्र सिंह और साहेब सिंह सैनी शामिल हैं.
बसपा के प्रदीप जाटव और धर्मवीर सिंह अशोक भी विधान परिषद में अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. हालांकि बसपा के पास महज दस सदस्यों ही बचे हैं और वह जब तक अन्य विपक्ष या बीजेपी का समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक उच्च सदन में एक भी सदस्य नहीं भेज सकेगी. बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उम्मीदवारों का चयन करेगी. उन्होंने कहा, "हम इन चुनावों के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देते समय राजनीतिक गठबंधन और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखेंगे."
विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के 52 सदस्य
पिछले महीने राज्यसभा चुनावों में बीजेपी ने वोट बचे होने के बावजूद अतिरिक्त उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारकर बसपा उम्मीदवार रामजी गौतम को निर्विरोध निर्वाचित होने में एक प्रकार से मदद की थी. बीजेपी द्वारा दिखाई गई उदारता ने भविष्य में उसके बसपा के साथ संभावित गठजोड़ की ओर इशारा किया है. वर्तमान में विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के 52 सदस्य हैं, जिसके बाद बीजेपी के 19 और बसपा एवं कांग्रेस के क्रमश: आठ और दो एमएलसी हैं.
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