UP Legislative Council By-Election Process: यूपी विधान परिषद की 2 रिक्त सीटों पर 29 मई को वोटिंग होगी यह चुनाव समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के मैदान में आ जाने से दिलचस्प हो गया है. हालांकि समाजवादी पार्टी के पास बहुमत नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी दोनों ही सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 29 मई को सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक दोनों खाली सीटों के लिए अलग-अलग वोटिंग होगी. आपको बताते हैं कि आखिर विधान परिषद के चुनाव में वोटिंग की क्या प्रक्रिया है.
यूपी विधान परिषद की 2 सीटों पर उपचुनाव होना है और उपचुनाव के लिए वोटिंग 29 मई को होनी है. सुबह 9:00 बजे से शाम 4 बजे तक वोट डाले जाएंगे ये चुनाव अन्य चुनाव से अलग होता है. विधान परिषद के इस चुनाव में विधायक वोट देते हैं. दरअसल दोनों ही सीटों के लिए अलग-अलग वोटिंग हो रही है, सभी 403 विधायक दो बार वोट डालेंगे. इस चुनाव के लिए मतदान केंद्र विधानसभा के तिलक हॉल को बनाया गया है. तिलक हाल में 2 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जहां हर एक मतदान केंद्र में 3- 3 पोलिंग बूथ बनाए गए यानी एक बार में एक मतदान केंद्र तीन विधायक एक साथ जा सकते हैं. इस चुनाव में वोटिंग बैलेट पेपर से होती है और विधायक जिसे चुनना है, बैलेट पेपर पर उसके नाम के आगे 1 लिखते हैं, अगर कोई नाम के आगे टिक करेगा तो वह वोट इनवेलिड हो जाएगा.
इसी तरह अगर कोई बैलट पेपर पर अपना सिग्नेचर करेगा या कोई निशान लगाएगा तो भी वह वोट इनवेलिड हो जाएगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस चुनाव के लिए जो पेन होता है वह खास तौर से राज्य निर्वाचन निर्वाचन आयोग की तरफ से दिया जाता है. इसमें वॉयलेट कलर की इंक होती है और इसी पेन का इस्तेमाल विधायक वोट देने के लिए करते हैं, अगर कोई दूसरी पेन का इस्तेमाल करेगा तो उसका वोट अवैध हो जाएगा. वहीं यह चुनाव इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चुनाव में गुप्त मतदान होता है यानी विधायकों को राज्यसभा के चुनाव की तरह इसमें अपना वोट दिखाना नहीं है बल्कि गुप्त वोट करना है.
इस चुनाव में एक सीट पर जीत के लिए उम्मीदवार को 202 वोट चाहिए और अगर बीजेपी की बात करें तो उसके अपने 255 सहयोगी दल अपना दल के 13 और निषाद पार्टी के 6 विधायक कुल वोटों की संख्या 274 हो जाती है, यानी बीजेपी को कम से कम 274 वोट तो एक सीट पर मिलेंगे और अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो उसके 109 और उसके सहयोगी अपना दल के 9 वोट कुल 118 वोट तो उसे मिलने ही चाहिए. लेकिन बीजेपी साफ तौर पर कह रही है की समाजवादी पार्टी ने कहीं न कहीं जो परंपरा है उसे तोड़ा है क्योंकि विधान परिषद के उपचुनाव में विपक्षी दल अपना उम्मीदवार नहीं उतारते आए हैं और यही परंपरा रही है.
रालोद ने भी दी प्रतिक्रिया
इस बार सपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जाहिर है बीजेपी यह तो कह रही है कि उसे अपने सारे वोट मिलेंगे लेकिन दूसरे दलों के वोट उसे नहीं चाहिए. इस बात से वह मना नहीं कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि दरअसल विपक्ष का काम सत्ता का विरोध करना है और इसीलिए इस चुनाव में सपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जीत हार अलग विषय है, वहीं समाजवादी पार्टी के सहयोगी आरएलडी का भी साफ तौर पर कहना है कि जब बहुमत नहीं है तो उम्मीदवार क्यों उतारे गए ये उनकी समझ से परे है.
लोकसभा चुनाव का भी निकलेगा गणित
बता दें कि 29 मई को ही शाम 5:00 बजे के बाद वोटों की गिनती शुरू होगी और ऐसे में अगर बीजेपी को 274 से ज्यादा वोट मिलते हैं तो यह माना जाएगा कि लोकसभा चुनाव से पहले दूसरे दलों के जो विधायक साथ आने को आतुर हैं. उन्होंने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की है, और अगर समाजवादी पार्टी को 118 से कम वोट मिलते हैं तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा और उसके गठबंधन को लेकर भी सवाल जरूर खड़े होंगे. ऐसे में अब बीजेपी जहां इस चुनाव में अपने वोट को बढ़ाने में जुटी है तो समाजवादी पार्टी भी बार-बार कह रही है कि अंतरात्मा की आवाज पर दूसरे दलों के लोग भी उनके उम्मीदवारों को वोट देंगे.