UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया. इस घोषणा पत्र में कई मुद्दों का जिक्र है. जिस मुद्दे की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है कास्ट सेंसस (Caste Census). 48 पन्ने के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना के बारे में छठवें पन्ने पर विस्तार से लिखा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चुनाव में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते रहे हैं.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को न्याय पत्र का नाम दिया है. इसमें 5 न्याय और 25 गारंटियों की बात कही गई है. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि पार्टी जातियों और उपजातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करेगी और एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करेगी.
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में कहा है कि वह बिना किसी भेदभाव के नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी का आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए संस्थान (ईडब्ल्यूएस) सभी जातियों और समुदायों के लिए लागू करेगी.
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कांग्रेस ने क्या कहा है?
कांग्रेस पार्टी पिछले सात दशकों से समाज के पिछड़े, वंचित, पीड़ित और शोषित वर्गों एवं जातियों के हक और अधिकार के लिए सबसे अधिक मुखरता के साथ आवाज उठाती रही है. कांग्रेस लगातार उनकी प्रगति के लिए प्रयास करती रही है. लेकिन जाति के आधार पर होने वाला भेदभाव आज भी हमारे समाज की हकीकत है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग देश की आबादी के लगभग 70% हैं, लेकिन अच्छी नौकरियों, अच्छे व्यवसायों और ऊँचे पदों पर उनकी भागीदारी काफी कम है. किसी भी आधुनिक समाज में जन्म के आधार पर इस तरह की असमानता, भेदभाव और अवसर की कमी बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक असमानताओं की इस खाई को निम्न कार्यक्रमों के माध्यम से पाटेगी.
यूपी में जातिगत जनगणना का मुद्दा, भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही अहम है. ऐसे में कांग्रेस का वादा, यूपी में इंडिया अलायंस की जमीन को मजबूती दे सकता है. यही बात है जो बीजेपी को परेशान कर सकती है.
हालांकि बीजेपी में भी यह मांग उठती रही है. बीते साल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि 'लोकतंत्र में गणना की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. फिर चाहे वह मतगणना, जनगणना हो या जातीय जनगणना. इन सभी गणनाओं से ही लोकतंत्र मज़बूत होता है. लोकतंत्र का मतलब ही गणना है.' इससे पहले भी वह कई बार जाति आधारित जनगणना को लेकर अपना पक्ष रखते रहे हैं. उन्होंने बीते गुरुवार को केंद्र सरकार जातिगत जनगणना करायेगी. हम वरिष्ठ नेता इसके पक्ष में हैं.
बसपा चीफ भी दे चुकी हैं बयान
बसपा चीफ मायावती भी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कह चुकी हैं कि यह समय की मांग है. बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े आने के बाद मायावती ने कहा था, 'ओबीसी समाज की आर्थिक, शैक्षणिक व सामाजिक स्थिति का सही ऑकलन कर उसके हिसाब से विकास योजना बनाने के लिए बिहार सरकार द्वारा कराई जा रही जातीय जनगणना (caste census) को पटना हाईकोर्ट द्वारा पूर्णत वैध ठहराए जाने के बाद अब सबकी निगाहें यूपी पर टिकी हैं कि यहाँ यह जरूरी प्रक्रिया कब होगी.'
उन्होंने कहा था कि, 'देश के कई राज्य में जातीय जनगणना के बाद यूपी में भी इसे कराने की माँग लगातार ज़ोर पकड़ रही है, किन्तु वर्तमान बीजेपी सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं लगती है, यह अति-चिन्तनीय, जबकि बीएसपी की माँग केवल यूपी में नहीं बल्कि केन्द्र को राष्ट्रीय स्तर पर भी जातीय जनगणना करानी चाहिए.'