UP Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का नामांकन बुधवार को खत्म हो जाएगा. इस बीच उत्तर प्रदेश की रामपुर (Rampur Lok Sabha) और मुरादाबाद लोकसभा सीट (Moradabad Lok Sabha ) पर समाजवादी पार्टी में सियासी विवाद की स्थिति पैदा हो गई. इस सियासी विवाद में पांच किरदार अहम हैं. इसमें से दो वो लोग हैं, जिन्हें समाजवादी पार्टी - रामपुर और मुरादाबाद से उम्मीदवार बना सकती है. इसके अलावा दो लोग वह है जिनके हाथ में सपा की बागडोर है. इसके अलावा एक नेता ऐसा भी है जिसके हाथ नामांकन पत्र आते-आते रह गया.


24 घंटों के भीतर रामपुर और मुरादाबाद में सपा के भीतर ऐसा खेल शुरू हुआ जो उनके चुनावी लिहाज से कतई मुफीद नहीं है. पहले तो आपको उन पांच किरदारों के बारे में बताते हैं जिनकी इस पूरे मामले में अहम भूमिका है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव, सपा नेता आजम खान, मुरादाबाद से सपा उम्मीदवार डॉ. एस.टी. हसन, रामपुर से सपा के संभावित उम्मीदवार इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और मुरादाबाद से जिनके नाम की खूब चर्चा हुई वो रुचि वीरा. इन पांच किरदारों के इर्द-गिर्द ही रामपुर और मुरादाबाद की कहानी घूमती रही.


सूत्रों का दावा है कि सपा, रामपुर से सपा ने दिल्ली पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बना सकती है. वहीं मुरादाबाद लोकसभा सीट पर डॉ. एस.टी. हसन को उम्मीदवारी फिर बहाल हो सकती है. सपा सांसद और प्रत्याशी डॉ एस.टी. हसन के भाई मंजूर उल हसन ने बताया कि रुचि वीरा का टिकट कैंसल होगा. डॉ एस. टी. हसन के लिए नरेश उत्तम संशोधित चिट्ठी लेकर आ रहे हैं. 


मुरादाबाद में क्या हुआ?
आईए पहले आपको बताते हैं कि मुरादाबाद में क्या हुआ. मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी ने बड़ी जद्दोजहद के बाद मौजूदा सांसद डॉ. एस.टी. हसन को उम्मीदवार बनाया. उम्मीदवारी के बाद डॉ. एस.टी. हसन ने नामांकन भी कर दिया. उनके नामांकन के कुछ देर बाद सूचना आने लगी कि पार्टी उनका टिकट काट देगी. सबसे पहले नाम आया रुचि वीरा का. दावा किया गया कि मुरादाबाद सीट पर सपा, डॉ. एस.टी. हसन की जगह रुचि वीरा को उम्मीदवार बना सकती है. जब यह खबर आई कि सपा मुरादाबाद लोकसभा सीट से रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाने का आधिकारिक एलान कर सकती है तभी उनका विरोध शुरू हो गया है. सपा सांसद डॉ. एस.टी. हसन के समर्थकों ने मंगलवार शाम को उनके विरोध में नारेबाजी की और कहा कि उन्हें बाहरी प्रत्याशी मंजूर नहीं है. डॉ एस.टी. हसन के रामपुर सीट से चुनाव लड़ाए जाने की भी चर्चा थी. इन सबके बीच मंगलवार सुबह सूत्रों ने दावा किया कि डॉ. एस.टी. हसन का टिकट नहीं कटेगा और वही उम्मीदवार रहेंगे. 


रामपुर में बागी तेवर!
अब बात करते हैं रामपुर लोकसभा सीट की. जिस रामपुर को आजम खान और सपा का गढ़ कहा जाता रहा है वहां तो अजब ही हाल रहा. मंगलवार देर शाम सपा की जिला इकाई के अध्यक्ष अजय सागर ने प्रेस वार्ता कर ऐलान कर दिया कि अगर अखिलेश यादव इस सीट से उम्मीदवार नहीं होंगे तो हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे. उन्होंने कहा था कि हमने अखिलेश यादव से आग्रह किया कि वह रामपुर लोकसभा सीट से इलेक्शन लड़ें लेकिन उन्होंने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. इसके बाद आजम खान के नाम से एक कथित चिट्ठी जारी हो गई. जिसमें कथित तौर पर उन्होंने लिखा था कि जिस तरह से इटावा, कन्नौज, मैनपुरी और आजमगढ़ को महत्व दिया जाता है, उसी तरह से रामपुर पर भी ध्यान दिया जाए. आजम ने भी चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया था. इन सबके बीच सूत्रों का दावा है कि सपा दिल्ली पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चुनावी मैदान में उतारने का मन बना लिया है.


आजम और अखिलेश के बीच मनमुटाव की आशंका!
सियासी जानकार बताते हैं कि अगर रामपुर लोकसभा सीट पर अगर अखिलेश, नदवी के नाम को हरी झंडी देते हैं तो आजम से उनकी बात बिगड़ सकती है. सूत्रों के मुताबिक नदवी को आजम खान पसंद नहीं करते हैं. अखिलेश जब सीतापुर में आजम से जेल में मिलने गए थे तब भी सपा नेता ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपील की थी कि वही रामपुर से चुनाव लड़ें. आजम चाहते थे कि रुचि वीरा को मुरादाबाद की सेफ सीट दी जाए. वह यह भी चाहते थे कि अगर अखिलेश खुद रामपुर से बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में न उतरे तो डॉ. एस.टी. हसन को वहां भेजा जाए. सूत्रों ने इस संदर्भ में दावा किया है कि चूंकि डॉ. एस.टी. हसन ने रामपुर जाने से इनकार कर दिया और मुरादाबाद से रुचि वीरा का विरोध शुरू हो गया, इसलिए अखिलेश , आजम का आग्रह नहीं मान सके.


अखिलेश यादव के रामपुर से चुनाव न लड़ने की सूरत में आजम खान को सबसे बड़ी आशंका इस बात की है कि उनकी सियासी विरासत का क्या होगा? अखिलेश यादव की उम्मीदवारी से एक ओर जहां उनकी सियासी विरासत, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की छांव में रहती तो वहीं आजम के बरक्स कोई खड़ा नहीं हो सकता था.


अब नामांकन में ढाई घंटे से भी कम का वक्त बचा है और सपा का सस्पेंस अभी तक खत्म नहीं हुआ है. यह देखना दिलचस्प होगा कि रामपुर और मुरादाबाद में किसकी सियासत और ताकत का परचम बुलंद रहेगा.