UP Lok Sabha Election: कांग्रेस और सपा के किले को भेदने के लिए BJP को दिखाना होगा दम, सबकी टिकी हैं निगाहें
UP Lok Sabha Chunav 2024: उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है. लेकिन, ये उतना भी आसान नहीं है. यूपी की कुछ सीटें ऐसी है जिन्हें भेदने के लिए पार्टी को जोर लगाना होगा,
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UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का रण तेज हो गया है. पहले चरण की वोटिंग के लिए अब दो हफ्ते का समय बचा हैं. इस बार मिशन 80 को लेकर बीजेपी उत्तर प्रदेश में पूरा जोर लगाए हुए हैं. पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. यूपी की कई ऐसी सीटें हैं जो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गढ़ रही हैं. ऐसे में सबकी निगाहें इन सीटों पर लगी हुई है.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मिशन 80 की राह में मैनपुरी और रायबरेली जैसी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. साल 2019 में जब पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही थी, तभी भी पूरा जोर लगाने के बाद इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत नहीं मिल पाई थी. कांग्रेस भले ही अमेठी सीट हार गई लेकिन रायबरेली में कांग्रेस का जलवा रहा और सोनिया गांधी यहां से सांसद बनीं.
सपा-कांग्रेस का किला भेद पाएगी बीजेपी?
मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. साल 1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा था, जिसके बाद से लगातार इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है. इस बीच भले ही मुलायम सिंह यहां से चुनाव लड़ें हो या नहीं लेकिन यहां की जनता ने समाजवादी पार्टी को ही जीत दिलाई.
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद साल 2022 में जब यहां उपचुनाव हुए तो अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को इसकी ज़िम्मेदारी दी और डिंपल यादव ने रिकॉर्ड मतों से मैनपुरी में चुनाव जीता. इस बार अगर बीजेपी को 80 सीटें हासिल करनी है तो मैनपुरी के तिलिस्म को तोड़ना होगा, जो मुश्किल दिखाई दे रहा है. बीजेपी अब तक यहां से उम्मीदवार भी घोषित नहीं कर पाई है.
वहीं रायबरेली सीट की बात करें तो 1952 जब से ये सीट बनी है तभी से ये कांग्रेस का गढ़ रही है. हालांकि एक बार 1977 में जनता पार्टी और 1996-1998 के बीच बीजेपी के सांसद रहे. इन्हें छोड़कर हमेशा यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2004 से अब तक सोनिया गांधी लगातार यहां सांसद रही लेकिन अब वो राज्यसभा चली गईं हैं. वहीं रायबरेली में कांग्रेस थोड़ी कमजोर दिख रही है. यही वजह है कि बीजेपी का साथ कांग्रेस भी अब तक अपने प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं कर पाई है.
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