UP Lok Sabha Election 2024: राजनीति में कब अपने दुश्मन बन जाएं या कब नाराज हो जाएं पता ही नहीं चलता. कुर्सी की लड़ाई और वर्चस्व की दौड़ में निकटता दूरियों में तब्दील होनी शुरू हो गई है.ऐसा ही कुछ तस्वीर अब उत्तर प्रदेश की कानपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और अकबरपुर लोकसभा सीट पर देखने को मिल रही है. नाराजगी के दावे कयासों के बाजार को गर्म कर रही है. कानपुर लोकसभा सीट और अकबरपुर लोकसभा सीट पर ये नाराजगी नजर आ रही है. अब ये नाराजगी महज कयास है या वाकई इसमें कोई वजह है, आइए हम आपको बताते हैं-


पहला मामला अकबरपुर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले से जुड़ा हुआ है. इस सीट पर पहले ही कई दिग्गजों की नजर थी लेकिन टिकट की दौड़ में बीजेपी के वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने टिकट हासिल कर ये बाजी अपने पाले में कर ली. वहीं इस सीट पर कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, यूपी सरकार में राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ल , कानपुर से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा के साथ साथ कानपुर नगर रोड कानपुर देहात जिले के कई बीजेपी नेता लोकसभा की टिकट के लिए लाइन में थे.


देवेंद्र सिंह भोले ने टिकट मिलने के पहले ही कह दिया था की टिकट पहले से ही उनकी जेब में है और हुआ भी ऐसा ही. जिसके चलते कुछ दिग्गज दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. नामांकन के पहले ही दिन बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले ने अपना नामांकन कराया और एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया. जिसमें शहर से लेकर लखनऊ तक के नेताओं ने शिरकत की फिर चाहे यूपी विधान सभा अध्यक्ष सतीश माहना हो या कानपुर के अधिकतर विधायक और मंत्री सभी इस कार्यक्रम में मंच पर दिखाई दिए.


एक चेहरा मंच से नदारद था वो थे कानपुर से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा जिनके लिए मंच से वक्ता ने कहा की विधायक अभिजीत सांगा आने में असमर्थ हैं और वो इस कार्यक्रम में नहीं आ सकते. दरअसल विधायक अभिजीत भी लोकसभा की दौड़ में शामिल थे और खबरें थी कि वो भोले की टिकट होने से नाराज हैं. अब नामांकन के दिन मंच पर नजर न आना इस खबर और कयास को कहीं न कहीं सच साबित करता दिखाया दे रहा है.


दूसरा मामला है कानपुर सीट से जुड़ा हुआ है. यहां बीजेपी ने नए चेहरे को मैदान में उतारा था जिसका नाम रमेश अवस्थी है. मजबूत और पुराने नेताओं से भरे शहर में सबको पीछे छोड़कर रमेश अवस्थी ने इस सीट पर अपनी दावेदारी को सुनिश्चित कर लिया और बीजेपी ने उन्हें इस सीट पर टिकट दे दी. वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी इसके प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे लेकिन टिकट फाइनल होने के पहले ही पचौरी ने एक लेटर जारी कर सनसनी फैला दी जिसमे लिखा था की वो अब इस सीट से चुनाव नही लड़ना चाहते हैं और सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहेंगे. इसके दो दिन बाद इस सीट पर रमेश अवस्थी का नाम फाइनल हो गया. इस मामले में भी खबर थी की पचौरी ने अपनी टिकट की संभावना को न देखते हुए लेटर जारी कर दिया था. रमेश अवस्थी के नामांकन जुलूस से पहले मंच पर पचौरी भी नही दिखाया दिए.


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अगर बात करें यूपी सरकार में महिला राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला की तो उनकी भी अपनी ही सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान से कुछ दिनों पहले एक विवाद चल रहा था. जिसकी खबरें सामने आईं थीं कि मंत्री प्रतिभा ने एक अवैध खनन के मामले में बीजेपी कैबिनेट मंत्री राकेश सचान पर गंभीर आरोप लगाए थे. जिसमें उनके द्वारा कथित तौर पर अवैध मिट्टी के काम कराए जन का मामला सामने आया था जो कि प्रतिभा शुक्ला का विधान सभा क्षेत्र था. रमेश अवस्थी के नामांकन के दिन उनके भी जुलूस से प्रतिभा गायब थीं क्योंकि रमेश अवस्थी के नामांकन की बागडोर यूपी कैबिनेट मंत्री राकेश सचान संभाल रहे थे.


जिस तरह से पार्टी में ही अपनी नेताओ एक दूसरे ने नाराज होना और अंदर ही अंदर एक दूसरे के प्रति द्वेष चल रहा है वो इस बार यूपी की दो सीट कानपुर और अकबरपुर पर राजनितिक समीकरण खराब कर सकते हैं और इसका फायदा विपक्ष को मिल सकता है.