UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को हथियाने के लिए सियासी पार्टियां और नेता जहां हर दांव आजमा रहे हैं, वहीं मुस्लिम इलाकों में होने वाली फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए बीजेपी ने इस बार ख़ास रणनीति तय की है. पार्टी ने बुर्के की आड़ में होने वाली फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर इस बार मुस्लिम समुदाय की ही बुर्कानशीं महिला कार्यकर्ताओं को एजेंट बनाने का प्लान तैयार किया है. जिन मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं को एजेंट बनाया जाना है या फिर पोलिंग सेंटर के बाहर रास्ते पर बिठाकर फर्जी मतदाताओं की निगरानी कराई जानी है, इन दिनों उनकी ट्रेनिंग कराई जा रही है. 


पार्टी इसके लिए उन मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं का सेलेक्शन कर रही है, जो न सिर्फ तेज -तर्रार हैं, बल्कि वोटिंग के दौरान होने वाली गड़बड़ियों व खामियों से बखूबी वाकिफ भी हैं.इन महिला कार्यकर्ताओं के सेलेक्शन और वर्कशाप के ज़रिये ट्रेनिंग देने की ज़िम्मेदारी पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे को दी गई है. बीजेपी का मानना है कि विपक्षी पार्टियां बुर्के की आड़ में बड़ी तादात में फर्जी वोटिंग कराकर उसे नुकसान पहुंचाती हैं. बुर्कानशीं महिला कार्यकर्ताओं को चुनावी मोर्चे पर फ्रंट पर लाकर इस बार न सिर्फ मुस्लिम वोटरों में पैठ बढ़ानी है, बल्कि मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर विपक्ष की फर्जी वोटिंग की साजिश को नाकाम भी करना है.


मुस्लिम महिलाओं को दी जा रही ट्रेनिंग
बीजेपी रणनीतिकारों को इस बात की जानकारी है विपक्षी पार्टियां आम तौर पर हर चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर फर्जी वोटिंग कराती हैं. मुस्लिम समुदाय की महिलाएं बुर्के में होती हैं. उनका चेहरा ढका रहता है, ऐसे में मतदान से जुड़े कर्मचारियों से लेकर पोलिंग एजेंट तक बोगस वोटिंग पर चाहकर भी कुछ ख़ास नहीं कर पाते. बीजेपी की रणनीति है कि इस बार मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर मुस्लिम महिलाओं को ही एजेंट बनाया जाए और बूथ से लेकर पोलिंग सेंटर के बाहर तक बुर्कानशीं महिला कार्यकर्ताओं से ही निगरानी कराई जाए. इसके लिए जिन मुस्लिम महिलाओं का सेलेक्शन किया जा रहा है, उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है. 


मुस्लिम महिलाएं बीजेपी के लिए कर रही चुनाव प्रचार
दरअसल मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाकर पिछले कुछ सालों में बड़ी तादात में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुरीद होकर उनकी पार्टी को लेकर सकारात्मक रुख रखने लगी हैं. तमाम मुस्लिम महिलाएं ऐसी भी हैं, जो नरेंद्र मोदी की वजह से बीजेपी से सीधे तौर पर जुड़ गईं हैं और रमज़ान के महीने में रोज़ा रखकर भी गांवों - गलियों की ख़ाक छानते हुए पार्टी का प्रचार कर रही हैं. बीजेपी सकारात्मक सोच वाली मुस्लिम महिलाओं में न सिर्फ पैठ बढ़ाने की कवायद में जुटी है, बल्कि इन्हे हथियार बनाकर विपक्ष की तुष्टीकरण की सियासत को चारों खाने चित करने की भी कोशिश में है.


एजेंट बनने से फर्जी वोटिंग होगी कम
पार्टी का मानना है कि महिला और मुस्लिम एजेंट होने की वजह से फर्जी वोटर ज़्यादा प्रतिरोध भी नहीं कर सकेंगी. एजेंट बनकर उन्हें कैसे काम करना है और किस तरह से मानीटरिंग करनी हैं, इसके लिए सिर्फ दस -दस महिलाओं के ग्रुप को ही ट्रेनिंग दी जा रही है. उन्हें बारीकियां बताई जा रही हैं. अगर कोई गलत करने की कोशिश करता है तो पोलिंग आफिसर के ज़रिये कैसे उसे रोकना है और कैसे पुलिस प्रशासन की मदद लेनी है, यह भी बताया जा रहा है. बीजेपी का मानना है कि अगर मुस्लिम महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें पोलिंग एजेंट बनाए जाने की खबर प्रचारित हो गई तो विपक्षी पार्टियों की फर्जी वोटिंग टीम वैसे ही डर जाएगी.


मुस्लिम महिलाएं चुनाव में बनेगी पोलिंग एजेंट
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित मुस्लिम महिलाएं भी इस बार चुनाव में पोलिंग एजेंट बनाए जाने से खासी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि वह विपक्ष की बुर्के की आड़ में होने वाली फर्जी वोटिंग की साजिश को न सिर्फ पूरी तरह नाकाम करेंगी, बल्कि पीएम मोदी के चार सौ पार के संकल्प में अपना अहम योगदान भी देंगी. बीजेपी की बुर्के वाली यह रणनीति कितना कारगर साबित होगी, इसका फैसला तो वक्त करेगा, लेकिन यह जरूर है कि बुर्का पॉलिटिक्स के जरिए बीजेपी अब एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में है.


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