(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election 2024: यूपी की इस सीट पर अपनों ने बीजेपी को किया परेशान? सांसद समेत 10 दावेदार मांग रहे टिकट
UP Lok Sabha Election 2024: देवरिया लोकसभा सीट पर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व का संशय बरकरार है. भाजपा के कई दावेदार अपनी दमदारी का दंभ भर रहे हैं.
UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी की वीआईपी सीट में शुमार देवरिया लोकसभा सीट पर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व का संशय बरकरार है. गठबंधन से कांग्रेस के खाते में आई इस सीट पर कांग्रेस ने दिग्गज नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह चुनाव मैदान में उतरा है. तो वहीं भाजपा के कई दावेदार चुनाव मैदान में अपनी दमदारी का दंभ भर रहे हैं. हालांकि दो बार से बाहरी को मैदान में उतारने को लेकर देवरिया के लोगों में खासी नाराजगी है. देवरिया सीट पर गठबंधन से कांग्रेस के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह ने चुनाव प्रचार में दमदारी के साथ उतरकर उलटफेर के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं बसपा ने भी अभी अपना कार्ड नहीं खोला है. ऐसे में भाजपा के दांव पर सभी की नजर है.
देवरिया लोकसभा सदर सीट पर रमापति राम त्रिपाठी का टिकट कटने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. देवरिया के आसपास की लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों पर पूर्व की लिस्ट में विश्वास जताए जाने की वजह से रमापति राम त्रिपाठी के समर्थकों की उम्मीद बरकरार है. हालांकि इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोंकने वाले रमापति राम त्रिपाठी के अलावा 9 चेहरे हैं. इसमें पहला नाम यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का है. इसके अलावा पूर्व भाजपा सांसद जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी, भाजपा के पूर्व विधायक सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी, देवरिया के रुद्रपुर के रहने वाले भाजपा के पैनलिस्ट/प्रवक्ता एनएन सिंह, भाजपा नेता अभयनाथ तिवारी, संघ के अक्षत कार्यक्रम के सह संचालक राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहे अवनीन्द्र त्रिपाठी और एसएसबीसी इंटर कालेज के प्रिसिंपल अजय मणि त्रिपाठी का नाम चर्चा में चल रहा है.
कांग्रेस उम्मीदवार ने शुरू प्रचार
गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह की जहां क्षेत्र में अच्छी छवि है. तो वहीं भाजपा और बसपा के पत्ते नहीं खोलने की वजह से अखिलेश प्रताप सिंह जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. हालांकि ब्राह्मण बहुल सीट होने के नाते देवरिया लोकसभा सीट पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व अंत समय में कोई ऐसा दांव भी खेल सकता है, जो गठबंधन के चक्रव्यूह को तोड़ दे लेकिन अखिलेश प्रताप सिंह की साफ छवि के आगे दमदार प्रत्याशी उतारना भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौती है. यूपी की देवरिया सीट को ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता है. माना जाता है कि कलराज मिश्र और रमापति राम त्रिपाठी को बाहरी होने के बावजूद इसी का फायदा मिला है. देवरिया की जनता इस बार के चुनाव में किसी बाहरी को प्रत्याशी के रूप में नहीं देखना चाहती है. ऐसे में भाजपा रमापति राम त्रिपाठी पर भी एक बार फिर दांव लगा सकती है.
हालांकि इस पर राजनीति के जानकार और गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्हा कहते हैं कि ब्राह्मण बहुल सीट होने और देवरिया लोकसभा सीट पर भाजपा के हर बार ब्राह्मण कार्ड खेलने से ये उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार फिर ब्राह्मण को टिकट मिल सकता है. क्योंकि अधिक उम्र होने की वजह से देवरिया लोकसभा सीट से सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट कटने के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन अभी इस पर संशय बरकरार है कि भाजपा कौन सा दांव खेलती है.
देवरिया में कितने हैं मतदाता?
देवरिया की कुल जनसंख्या 28 लाख 18 हजार 561 है. तो वहीं मतदाताओं की संख्या 17 लाख 35 हजार 574 है. इनमें पुरूष मतदाता 9,50,812 महिला मतदाता 7,84,666 हैं. अन्य मतदाता 96 हैं. जातिगत समीकरण की बात करें, तो ये सीट सवर्ण बाहुल्य सीट मानी जाती है. इसमें सर्वाधिक संख्या में ब्राह्मण 27 प्रतिशत हैं. अनुसूचित जाति के लोग 14 प्रतिशत, अल्पसंख्या 12 प्रतिशत, यादव 8 प्रतिशत, वैश्य 8 प्रतिशत, सैंथवार 6 प्रतिशत, कुर्मी 5 प्रतिशत, क्षत्रिय 5 प्रतिशत, कायस्थ 4 प्रतिशत, राजभर 4 प्रतिशत, निषाद 3 प्रतिशत हैं. अन्य 4 प्रतिशत मतदाता हैं.
देवरिया संसदीय सीट में कुल पांच विधान सभाएं देवरिया सदर, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, तमकुहीराज और फाजिलनगर शामिल है. देवरिया लोकसभा सीट से रमापति राम त्रिपाठी वर्तमान में भाजपा सांसद हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में वे यहां से सांसद बने. इसके पहले कलराज मिश्र भी यहां साल 2014 के चुनाव में कमल खिला चुके है. भाजपा के दोनों दिग्गज नेताओं पर बाहरी होने और विकास नहीं करने के आरोप लगते रहे हैं.
देवरिया का विकास रहा अहम मुद्दा
देवरहा बाबा की भूमि कहा जाने वाला देवरिया जिला गोरखपुर से अलग होकर 1952 में अस्तित्व में आया. इसे कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था. आज चीनी मिले बंद होने की वजह से यहां के नौजवानों को पलायन को मजबूर होना पड़ता है. यहां के सांसदों के ऊपर ये भी आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने देवरिया का विकास नहीं किया. यहां न तो उद्योग आए और न तो यहां का विकास हो सका.
विकास कार्य नहीं होने से यहां के लोगों में खासी नाराजगी भी है. देवरिया लोसकभा सीट के तहत आने वाली पांचों विधानसभा क्षेत्रों पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में पथरदेवा सीट पर सूर्यप्रताप शाही (यूपी सरकार में कृषि मंत्री), देवरिया सदर सीट पर बीजेपी के शलभ मणि त्रिपाठी, रामपुर कारखाना सीट पर सुरेंद्र चौरसिया, तमुकुहीराज सीट पर आसिम कुमार और फाजिलनगर सीट पर सुरेंद्र कुशवाहा ने जीत हासिल की.