UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. बीजेपी ने अब तक इस सीट पर अपने प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है. माना जा रहा है कि इस बार बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कटना तय हैं. पार्टी इस सीट से उनकी पत्नी केतकी सिंह या बेटे प्रतीक को चुनाव में उतार सकती है. 


बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के क़द्दावर नेता रहे हैं. इस सीट पर उनका काफी प्रभाव रहा है लेकिन, महिला पहलवानों के आरोपों के बाद वो विवादों में आ गए थे. यही वजह है कि पार्टी अब उनकी जगह किसी और के नाम पर मंथन कर रही है. उम्मीद है कि जल्द ही इस सीट पर प्रत्याशी के नाम का एलान हो सकता है. 


यूपी की कैसरगंज सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. इस सीट पर पिछले दो बार से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. पार्टी यहां मजबूत स्थिति में है. यहां वोटर्स को भी पुराने चेहरे ही रास आते हैं. वो अक्सर इसमें बदलाव नहीं करते, यही वजह से ही यहां से एक ही चेहरा कई बार चुना जाता रहा है फिर वो बीजेपी से हो या सपा और कांग्रेस से हो. 


कैसरगंज सीट का सियासी इतिहास
कैसरंगज सीट पर पहली बार साल 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे यहां से भारतीय जनसंघ की शुकंतला नायर सांसद बनीं. इसके बाद वो साल 1967 और 1971 में जनसंघ से ही सांसद चुनीं गईं. इस बीच एक बार 1957 में कांग्रेस के भगवानदीन मिश्र और 1962 स्वतंत्र पार्टी से बसंत कुंवरि सांसद बने. 


साल 1977 में वोटरों ने मन बदला और जनता पार्टी के रुद्रसेन चौधरी को सांसद बनाया. इसके बाद साल 1980 में कैसरगंज सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया. कांग्रेस के राणाबीर सिंह 1980 और 1984 में लगातार दो बार सांसद चुने गए. 1989 में बीजेपी के रुद्रसेन चौधरी और 1991 एलएनमणि त्रिपाठी सांसद बने. 


साल 1996 से 2009 तक लगातार समाजवादी पार्टी इस सीट से चुनाव जीतती रही है. पहले 1996 से 2009 तक सपा के बेनी प्रसाद वर्मा लगातार चार बार सांसद चुने गए. इसके बाद 2009 में सपा से बृजभूषण शरण सिंह पहली बार सांसद बने.


इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, साल 2014 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और फिर 2019 में भी वो बीजेपी के टिकट पर कैसरगंज से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे.


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