Lok Sabha Chunav: क्या अमनमणि त्रिपाठी महाराजगंज में लगा पाएंगे कांग्रेस का बेड़ा पार? जानें- क्या है सियासी समीकरण
Lok Sabha Election 2024: महाराजगंज की नौतनवां सीट से पूर्व विधायक रहे अमनमणि त्रिपाठी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. जिसके बाद यहां सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं.
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Lok Sabha Election 2024 Maharajganj: यूपी की महाराजगंज ज़िले के नौतनवां सीट से पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. सूत्रों में मुताबिक कांग्रेस उन्हें इस सीट से मैदान में उतार सकती है. ऐसे में यहाँ के सियासी समीकरण को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है.
सपा-कांग्रेस के सीट बंटवारे में महाराजगंज सीट कांग्रेस के खाते में आई है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी यहां से मजबूत चेहरे की तलाश में थी. कांग्रेस को इस सीट पर आखिरी बार 2009 में जीत मिली थी. पिछले दो बार से यहां बीजेपी के पंकज चौधरी सांसद हैं.
बीजेपी ने इस बार भी पकंज चौधरी को ही टिकट दिया है. ऐसे में कांग्रेस को इस सीट पर मजबूत दावेदार की तलाश थी. अमनमणि के कांग्रेस में आने से उन्हें बड़ा चेहरा माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने अभी तक उनके नाम का एलान नहीं किया है.
महाराजगंज सीट का सियासी समीकरण
अमनमणि त्रिपाठी का परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहा है. उनके पिता अमरमणि त्रिपाठी भी यूपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. ब्राह्मण वोटरों में उनकी खासी पैठ रही है. 2017 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय नौतनवां सीट से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस उन पर दांव लगाती है तो बीजेपी के ब्राह्मण वोटों कटने तय है.
दूसरी तरफ बीजेपी के पंकज चौधरी की कुर्मी समुदाय पर पकड़ है और बीजेपी के सवर्ण वोटर भी उनके साथ हैं. इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. अब तक यहां हुए पिथले सात चुनावों में पांच बार बीजेपी को जीत मिली, जबकि 1991 में एक बार सपा और 2009 एक बार ये सीट सपा के खाते में आई.
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा, महाराजगंज, सिलवा, नौतनवां, पनियारा और फरेंदा सीट आती है. इस बार इन सभी सीटों पर बीजेपी के कब्जा है. बीजेपी की इस क्षेत्र में मज़बूत पकड़ मानी जाती है.
महाराजगंज का जातीय समीकरण
महाराजगंज लोकसभा में ओबीसी वोटर 56 फीसद से भी ज्यादा है. इनमें ज्यादातर कुर्मी, पटेल, चौरसिया, यादव, मौर्य, सुनार और चौहान आते हैं. सवर्ण जातियों में 12 फ़ीसद ब्राह्मण और कुछ फीसद क्षत्रिय और कायस्थ समुदाय के लोग हैं. यहां दलितों में सबसे ज्यादा जाटव वोटर आते हैं. कांग्रेस यहां ब्राह्मण, दलित, यादव और मुस्लिम गठजोड़ के सहारे जोड़ने की कोशिश कर सकती है.
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