Moradabad Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट चर्चा में बनी हुई है. समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से यहां आखिरी वक्त में उम्मीदवार बदल लिया उससे पार्टी का संगठन दो फाड़ हो गया है. ऐसे में अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं तो वहीं दूसरी तरफ ये सीट बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का गृहक्षेत्र हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए भी ये साख का सवाल बन गया है. 


मुरादाबाद सीट से सपा ने पहले सांसद एसटी हसन को प्रत्याशी बनाया था. उन्होंने अपना पर्चा भी दाखिल कर दिया था लेकिन, आजम खान के कहने पर आखिरी वक्त में उनकी करीबी रुचि वीरा को टिकट दे दिया. जिसके बाद से सपा समर्थकों में नाराजगी है. एसटी हसन भी उनके समर्थन में चुनाव प्रचार नहीं कर रही हैं. 


साख का सवाल बनी ये सीट
बार-बार टिकट बदलने की वजह से एक तरफ एसटी हसन का खेमा नाराज है ऐसे में ये सीट अखिलेश यादव के लिए भी नाक का सवाल बनी हुई है. पार्टी कार्यकर्ता इस बात से नाराज है कि अगर एसटी हसन को चुनाव लड़ाना ही नहीं था तो फिर पहले उन्हें टिकट क्यों दिया गया. 


मुरादाबाद सीट सपा का गढ़ रही है. 2019 में यहां से सपा के एसटी हसन ने चुनाव जीता था, वहीं दूसरी तरफ मिशन 80 का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी भी मुरादाबाद में जीत पक्की करने में जुटी है, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ये गृह जिला है. पिछली बार बीजेपी हार गई थी. 


बीजेपी ने यहाँ से सर्वेश सिंह को टिकट दिया है. साल 2009 से वो लगातार इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2014 में उन्होंने यहां से जीत भी हासिल की थी. इसके अलावा वो ठाकुरद्वारा सीट से पांच बार विधायक भी रह चुके हैं. 


मुरादाबाद का जातीय समीकरण भी बीजेपी का गणित खराब कर सकता है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते है. यहां इनकी संख्या 48 फीसद हैं. इनके अलावा कुशवाह, सैनी और मौर्य मतदाता भी नौ फीसद के आसपास है. इतनी ही संख्या में जाटव मतदाता भी है, इनके अलावा सात फीसद ओबीसी वोटर्स हैं. 


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