कानपुर सीट पर पहली बार मिला कांग्रेस प्रत्याशी को 4 लाख से अधिक वोट, आलोक मिश्रा ने तोड़ा ये रिकॉर्ड
UP Lok Sabha Election Result 2024: कानपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा को 422087 वोट मिले, लेकिन वो बीजेपी उम्मीदवार से 20968 अंतर से हार गए. इससे बावजूद इस सीट पर कांग्रेस का कद बढ़ा है.
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UP Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में गठबंधन ने बीजेपी के ऐसे-ऐसे धुरंधरों को पीछे छोड़ दिया, जिनकी उम्मीद शायद खुद गठबंधन को भी नही थी, लेकिन कानपुर सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी रमेश अवस्थी की जीत भले ही सुनिश्चित हुई हो, लेकिन इस सीट पर हारे हुए कांग्रेस नेता और गठबंधन के प्रत्याशी आलोक मिश्रा किसी बाजीगर से कम साबित नहीं हुए.
कानपुर सीट पर कांग्रेस नेता आलोक मिश्रा ने अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेता प्रकाश जायसवाल, जोकि इस सीट पर तीन बार सांसद चुने गए. हैट्रिक मारने वाले जायसवाल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. 2019 से ज्यादा 2024 में वोट मिले. 2019 में प्रकाश को 313003 वोट मिले थे और वो सत्यदेव पचौरी से हार गए थे, लेकिन 2024 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले आलोक मिश्रा को 422087 वोट शहर की जनता ने दिया. वो भी तब जब बीजेपी के दावे का बोलबाला था. वोटों की ये संख्या और जीत हार का महज 21 हजार वोटों का अंतर कांग्रेस के बढ़ते दायरे की तस्वीर दिखा रही है.
बहुत कम मार्जिन से मिली जीत
कानपुर बुंदेलखंड की बात करे तो यहां 11 सीटें थी, जिस पर बीजेपी के महज 5 सीटों पर ही जीत हासिल हुई न मंदिर मुद्दा, न धारा 370, और न जाने कितने ऐसे मुद्दे जिसे बीजेपी इस चुनाव में भुनाना चाह रही थी, लेकिन देश की साइलेंट जनता ने वोट कर के सबको हैरान कर दिया. यही हाल अकबरपुर लोकसभा सीट का भी रहा. यहां से बीजेपी के देवेंद्र सिंह ने तीसरी बार हैट्रिक मारी लेकिन 2014 और 2019 की अपेक्षा उनको भी इस सीट पर महज 42 हजार वोटो से जीत मिली.
इंडिया गठबंधन प्रत्याशी आलोक मिश्रा की हार के पीछे एक बड़ा कारण ये भी था कि नामांकन के दौरान आलोक मिश्रा के नाम का एक और प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में उतरा था, जिसका नाम भी आलोक मिश्रा था. जब वोटों की काउंटिंग की जा रही थी तो हर पोलिंग बूथ पर डमी कैंडिडेट आलोक मिश्रा जो निर्दलीय था उसे भी हर पोलिंग बूथ पर 5 से 7 सौ वोट मिलते रहे. जिसने कांग्रेस नेता और गठबंधन के प्रत्याशी आलोक मिश्रा के वोट के प्रतिशत को घटा दिया. अगर डमी कैंडिडेट आलोक मिश्रा के नाम से मैदान में न उतरा होता तो गठबंधन प्रत्याशी की जीत पक्की हो सकती थी.
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