UP Lok Sabha Election Results 2024: पश्चिमी यूपी की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार सहारनपुर लोकसभा में आखिरकार लंबे अरसे बाद कांग्रेस का खाता खुल ही गया. इमरान मसूद यहां से सांसद बन गए हैं. राम नाम ने इमरान का बेड़ा पार लगा दिया. इमरान की नैया ने एक बार भी गोता नहीं खाया और जीत की नैया पार लग गई. बीजेपी दो मुस्लिम प्रत्याशियों के ओवर कॉन्फिडेंस में रही और आखिरकार दूसरी बार भी सहारनपुर में राघव की जीत का सपना अधूरा रह गया. इमरान मसूद 64,542 वोट से चुनाव जीत गए.


बसपा से निकाले जाने के बाद जैसे ही इमरान मसूद की कांग्रेस में एंट्री हुई तभी से इमरान मसूद की नए दौर की राजनीति में भी एंट्री हो गई. मेरठ की कांग्रेस की पहली बड़ी सभा में इमरान मसूद ने मंच से ये कहकर सबको चौका दिया कि मैं राम का वंशज हूं. कांग्रेस के बड़े नेता भी असहज थे, लेकिन जिस मंच पर इमरान पहुंचे वो ये कहना कभी नहीं भूले कि मैं राम का वंशज हूं. पूरे सहारनपुर लोकसभा में इमरान का ये बयान हमेशा ही सुर्खियां बटोरता रहा और इससे मुस्लिमों से अलग अन्य जातियों में इमरान मसूद ने पैठ बना ली. नतीजा सबके सामने है कि मुस्लिमों से इतर करीब एक लाख वोट इमरान ने अन्य जातियों से भी हासिल की और सहारनपुर के शहंशाह बन गए.


बड़ी रैली से बचे, विवादित बयानों से किया किनारा


इमरान मसूद की ये बड़ी रणनीति थी कि न तो उन्होंने बड़ी रैली की, न कोई बड़ी जनसभा की और अकेले ही दम पर गांव गांव गली गली वोट इकट्ठा करते रहे, जबकि बीजेपी और बसपा ने पूरी ताकत लगाई. सहारनपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद और मायावती की रैली का जवाब देने को इमरान ने प्रियंका गांधी का रोड शो करा दिया, उसमे उमड़ी भीड़ ने बहुत कुछ तस्वीर साफ कर दी थी, जबकि बीजेपी और बसपा की बेचैनी बढ़ गई थी.


पश्चिमी यूपी में ठाकुर बीजेपी के खिलाफ आग उगल रहे थे. सहारनपुर में कई पंचायतों में बीजेपी के बहिष्कार का एलान हुआ. इस नाराजगी को भांपकर इमरान ने ठाकुर बाहुल्य गांवों में घुसपैठ शुरू कर दी. मैं राम का वंशज हूं इस बात को पुरजोर तरीके से कहा. दलित और ओबीसी वोटर में भी घुसपैठ की. इमरान मसूद को ये भरोसा था कि मुस्लिम कहीं नहीं जाएंगे और उनके साथ रहेंगे और यदि ठाकुर, दलित और ओबीसी की थोड़ी वोट भी इकट्ठा कर ली तो संसद पहुंच जाऊंगा. इमरान की इस रणनीति को बीजेपी भाप नहीं पाई और चित हो गई.


बीजेपी की अंदरूनी कलह और ओवर कॉन्फिडेंस ने हराया


सहारनपुर में एक तरफ कांग्रेस से इमरान मसूद तो दूसरी तरफ बसपा से माजिद अली मैदान में थे. बीजेपी को ओवर कॉन्फिडेंस था कि दो मुस्लिम मैदान में हैं इसलिए कोई दिक्कत नहीं है. वहीं बीजेपी में अंदरूनी कलह भी थी. एक धड़ा नहीं चाहता था राघव लखनपाल चुनाव जीते क्योंकि कुछ लोगों का भविष्य का रास्ता बंद हो सकता था. बीजेपी नेताओं की अफसर सुन भी नहीं रहे थे और इसी भी बीजेपी का आम वोटर नाराज था. ये नाराजगी बढ़ती जा रही थी और बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ रहा था. चुनाव में बीजेपी के कार्यकर्ताओं में उत्साह कम दिखा और यहीं से बीजेपी की हार की कहानी लिखी गई.


सपा के पूर्व विधायक संजय गर्ग की बीजेपी में जिस उम्मीद से एंट्री कराई वो उम्मीद अधूरी रह गई. उनके आने का पार्टी को वो लाभ ही नहीं मिला जिसकी उम्मीद थी. पूर्व मंत्री धर्म सिंह की भी मतदान से कुछ वक्त पहले एंट्री हुई, वो भी चमत्कार करने में नाकाम रहे. कोई भी नेता 2014 की तरह वोटरों में जोश नहीं भर पाया और नतीजा 2019 की तरह हार मिली. 2019 में राघव लखनपाल बीएसपी के फजलुर्रहमान से हारे और 2024 में कांग्रेस के इमरान मसूद से.


बढ़त को तरसती रहे बूथ, फिर कैसे खिलता राघव का कमल


सहारनपुर लोकसभा में बूथ वोट को तरसते रहे. सहारनपुर शहर से बीजेपी के राजीव गुंबर विधायक हैं. यहां से भी इमरान मसूद को 5016 वोट की बढ़त मिली. यानि बीजेपी गढ़ में ही हार गई. देवबंद विधानसभा में 21051 से बीजेपी को बढ़त मिली, यहां से विधायक कुंवर बृजेश सिंह हैं. रामपुर मनिहारान सीट से मामूली 1557 मतों की बढ़त मिली. यहां से बीजेपी के देवेंद्र निम विधायक हैं. बेहट में इमरान 38229 वोटों की बढ़त से आगे रहे.


सहारनपुर देहात में  44,626 वोट से जीत कर चले. यानि इमरान मसूद की घुसपैठ हर जगह थी. इमरान मतगणना में शुरू से बढ़त बनाकर इतने आगे निकल गए कि पीछे मुड़कर नहीं देखा और 64,542 वोट से जीत दर्ज की.  इमरान मसूद को 547967, भाजपा के राघव लखनपाल को 483425 और बसपा के माजिद अली को 180353 वोट मिली.


मेरठ में क्षत्रिय समाज ने स्वाभिमान महापंचायत बुलाई थी. ठाकुर पूरन सिंह ने यहां बीजेपी के बहिष्कार का एलान किया था. उन्होंने शपथ दिलाई कि "रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई.'' लोटे में नमक भी कराया और इमरान मसूद के समर्थन का एलान कर दिया. ठाकुर पूरन सिंह के एलान से बीजेपी कुछ कमजोर हुई और इमरान ने ठाकुरों में पैठ बनानी शुरू कर दी.


इमरान ने छवि बदली


इमरान मसूद की जीत और बीजेपी की हार के और क्या कारण थे इस पर हमने सहारनपुर के दो वरिष्ठ पत्रकारों शाहिद जुबैरी और राजेश जैन से बात की. वरिष्ठ पत्रकार शाहिद जुबैरी ने बताया कि बीजेपी का एक धड़ा अपनी जगह तलाश रहा है और वो नहीं चाहता था राघव लखनपाल जीते और भितरघात किया. इमरान मसूद ने अपनी छवि बदली और सांप्रदायिक सौहार्द की बात की. खुद को राम का वंशज बताकर बीजेपी के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाई.


बीजेपी के नेता जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे. इमरान ये संदेश देने में कामयाब रहे कि मैं मजबूत हूं और जीतूंगा. बसपा प्रत्याशी माजिद अली कमजोर साबित हुए. मोदी की गारंटी का ओवर कॉन्फिडेंस भी बीजेपी को ले डूबा. बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह कम होने से पोलिंग कम रहा. इमरान का बूथ मैनेजमेंट सबसे बेहतर था और पूरे चुनाव में लो प्रोफाइल रहे.


वरिष्ठ पत्रकार राजेश जैन ने बताया कि बीजेपी में दूसरे दलों से आने वालों को तवज्जो और पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी बड़ा कारण रही. दो मुस्लिम प्रत्याशियों का मैदान में होना और बीजेपी का मुस्लिम वोट बंटने का ओवर कॉन्फिडेंस भी राघव लखनपाल की हार का कारण रहा. इमरान की रणनीति मजबूत थी बीजेपी की कमजोर. धर्म सीन सैनी को लाने में देरी की, संजय गर्ग सपा से बीजेपी में आए लेकिन वोट बैंक साथ नहीं आया. बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह की कमी और शाम के वक्त बारिश और ओले पड़ने से बीजेपी का मजबूत वोट बैंक रुक गया.


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