Lok Sabha Elections 2024: बहुजन समाज पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा ने आत्ममंथन शुरू कर दिया है. मायावती लोकसभा चुनाव के हार के कारणों की समीक्षा के लिए पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर चुकी हैं और उनके फीडबैक के आधार पर जिला अध्यक्षों और कोऑर्डिनेटरो से रिपोर्ट मांगी है. 


सूत्रों की माने तो मंडलवार रिपोर्ट मिलने के बाद मायावती एक सप्ताह के अंदर ही जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगी और लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के साथ अगले चुनाव की तैयारी के लिए अपने कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करेंगी.


लगातार चुनाव में मिली निराशा के बीच अब बसपा में जारी मंडल कोऑर्डिनेटर व्यवस्था को समाप्त करने पर भी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही मायावती संगठन में भी बड़े स्तर पर फेरबदल कर सकती है. संगठन में बड़े पदों पर बैठे लोगों को हटाकर नए लोगों को जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं.  


हार के बाद संगठन में बदलाव की तैयारी
बहुजन समाज पार्टी के लखनऊ लोकसभा से प्रत्याशी सरवर मलिक ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि एक हफ्ते के भीतर ही उनकी बैठक हो सकती है और हार के कारणों पर समीक्षा होगी. उन्होंने कहा बहन जी का जो निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा. जितने लोगों ने भी हमें वोट किया है उन सबके सम्मान है और आगे कैसे हमें बढ़ाना है बहन जी के दिशा निर्देशों पर हम आगे बढ़ेंगे. 


इस दौरान जब उनसे बीजेपी की बी होने के आरोपों पर सवाल किया गया तो सरवर मलिक बोले कि ये गलत धारणा बनाई जा रही है, बसपा के कारण कई सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ और वो हारी तक है, तो ये गलत आरोप है. 


क्या कहते हैं राजनीति जानकार? 
राजनीतिक विश्लेषक नीरज राय की माने तो बसपा की इस हार के कई कारण है. इसमें सबसे बड़ा कारण तो बसपा के मूल वोटरों का उससे दूर होने का है. इसके साथ ही इस चुनाव में लोगों ने बसपा को भाजपा की बी टीम जैसा ही माना. वहीं आकाश आनंद की शक्तियां अचानक से खत्म करना भी एक बड़ा कारण रहा, क्योंकि युवा आकाश से कनेक्ट हो रहा था.   


मायावती का लगातार सपा और कांग्रेस के खिलाफ ज्यादा मुखर होकर बोलना और भाजपा के खिलाफ उतना आक्रोश नहीं दिखाना इसके साथ ही पार्टी के कैडर नेताओं का बसपा छोड़ के जाना, पार्टी के ये दिन लेकर आया है. इसके साथ ही एक बड़ा करण संविधान का था जहां इंडिया गठबंधन ने ये लोगों को कहा भाजपा 400 सीट लाकर संविधान बदल देगी और गठबंधन ही संविधान बचा सकता है. वहीं मायावती ने इस पर ज्यादा मुखर होकर आवाज नहीं उठाई. 


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