(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी की कई सीटों पर भारी पड़ा नोटा! जीत के अंतर से ज्यादा पड़े वोट, बदल सकते थे नतीजे
UP News: यूपी की कई लोकसभा सीटों पर मतदाताओं ने नोटा पर जमकर वोट किया है, कई सीटें तो ऐसी है जो किसी उम्मीदवार की जीत-हार के लिए निर्णायक साबित हो सकती थी.
UP Lok Sabha Elections Results 2024: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव के नतीजे इस बार कई मायनों में चौंकाने वाले रहे. समाजवादी पार्टी जहां बीजेपी को पछाड़ते हुए प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, तो वहीं कई सीटों पर नोटा का बटन भी सभी दलों पर भारी पड़ता नजर आया. इनमें कई सीटें तो ऐसी थी जो उम्मीदवार की जीत के लिए निर्णायक साबित हो सकती थी. इन सीटों पर जीत के अंतर से ज्यादा लोगों ने नोटा का बटन दबाया.
अगर नोटा का बटन दबाने वाले मतदाता किसी एक पक्ष में जाकर वोट करते तो इन सीटों पर चुनाव के नतीजे तक बदल सकते थे. प्रदेश में पांच लोकसभा सीटे तो ऐसी थी जहां किसी उम्मीदवार की जीत का अंतर भी नोटा को पड़े वोटों से कम था.
जनता अगर नोटा ना चुनती तो यूपी के इन पांच सीटों के रिजल्ट बदल सकते थे-
- धौरहरा लोकसभा में जीत का अंतर 4449 था जबकि नोटा पर 7144 वोट पड़े - इस सीट से समाजवादी पार्टी के आनंद भदौरिया ने जीत दर्ज की है.
- फर्रुखाबाद लोकसभा में जीत का अंतर 2678 रहा जबकि नोटा पर 4365 वोट पड़े इस सीट से बीजेपी के मुकेश राजपूत ने जीत दर्ज की है.
- हमीरपुर लोकसभा में जीत का अंतर 2629 रहा जबकि नोटा पर 13453 वोट पड़े इस सीट पर समाजवादी पार्टी के अजेंद्र सिंह लोधी ने जीत दर्ज की है.
- फूलपुर लोकसभा सीट में जीत का अंतर 4332 जबकि नोटा पर 5460 वोट पड़े इस सीट से बीजेपी के प्रवीण पेटल ने जीत दर्ज की.
- सलेमपुर लोकसभा सीट में जीत का अंदर 3573 जबकि नोटा पर 7549 वोट पड़े इस सीट से समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने जीत दर्ज की.
यूपी की कई लोकसभा सीट जहां नोटा को मतदाताओं ने 10 हजार से ज्यादा वोट डाल दिए. ऐसी दर्जन भर सीटें हैं-
1. राबर्टगंज - 19,032
2. झांसी - 15,302
3. मिर्जापुर - 15,049
4. कैसरगंज -14,887
5. हमीरपुर - 13,453
6. बांदा - 13,235
7. कौशांबी - 12,967
8. बहराइच - 12,864
9. जालौन - 11,154
10. गौतमबुद्ध नगर - 10,324
11. देवरिया - 10,212
12. भदोही - 11,229
दरअसल ईवीएम मशीन में नोटा के बटन का मतलब होता है 'नन ऑफ द एबव' यानी इनमें से कोई नहीं. चुनाव के दौरान नोटा का बटन तब दबाया जाता है जब मतदाता को किसी भी राजनीतिक दल का उम्मीदवार पसंद नहीं होता और वो किसी और को अपना वोट देना चाहते है. लेकिन विकल्प नहीं होने की वजह से वो नोटा दबा रहे हैं.
भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साल 2013 ईवीएम मशीन पर नोटा का बटन उपलब्ध कराया था, पहली बार दिसंबर 2013 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान के चुनाव में इस बटन का इस्तेमाल किया गया था.