Lucknow Municipal Corporation: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के विभिन्न इलाकों में कुत्तों के बढ़ते हमलों से चिंतित लखनऊ नगर निगम एक घर में दो से ज्‍यादा पालतू कुत्ते पालने पर रोक लगाने की योजना बना रहा है. इसके साथ ही पालतू कुत्तों का लाइसेंस शुल्क भी बढ़ाने की तैयारी है. सख्त दिशा-निर्देशों के साथ-साथ लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) प्रति घर पालतू कुत्तों की संख्या को दो तक सीमित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. कुत्तों का लाइसेंस शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है. एलएमसी के पशु कल्याण निदेशक डॉ. अरविंद राव ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, 'हम शहर में पालतू जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों के लिए नए दिशा-निर्देश बनाने की प्रक्रिया में हैं. पशु प्रबंधन के अन्य पहलुओं के साथ लाइसेंस शुल्क को दोगुना करने का प्रस्ताव इसका हिस्सा है.'


लावारिश नहीं छोड़ सकते कुत्ते


राव ने कहा कि नए दिशा-निर्देशों के अनुसार कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते को सार्वजनिक स्थानों पर लावारिस नहीं छोड़ सकता है और उसे यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि कुत्ता आसपास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी पैदा न करे. उन्होंने कहा कि पालूत कुत्ते के लाइसेंस का नवीनीकरण हर साल अनिवार्य होगा और कुत्तों के लिए आवश्यक टीके के नियम का पालन भी करना पड़ेगा. वर्तमान में एलएमसी विदेशी नस्ल के पालतू कुत्ते को रखने के लाइसेंस जारी करने के बदले 500 रुपये का शुल्क लेता है. नए दिशा-निर्देशों के लागू होने पर यह राशि 1,000 रुपये हो जाएगी.


सख्त दिशा-निर्देशों की जरूरत बताते हुए डॉ. अरविंद राव ने कहा, 'जैसा कि शहर में रहने की जगह कम हो रही है, इसलिए यह जरूरी है कि पालतू जानवरों के कारण कोई संकट और संघर्ष न हो और इसके लिए सुनिश्‍चित उपाय हो.” उन्‍होंने कहा कि नए दिशा-निर्देशों को इसे ध्‍यान में रखते हुए बनाया जा रहा है और इसमें पालतू जानवरों की भलाई पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा. निदेशक ने कहा कि नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक कुत्ते के मालिक को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह स्थान जहां जानवर रहता है, स्वच्छ और आरामदायक हो. यह देखते हुए कि कई लोग ऐसे कुत्तों को पालतू जानवर के रूप में रखते हैं, जो अपने क्रूर स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और यहां तक कि कई देशों में प्रतिबंधित भी हैं, एलएमसी यह सुनिश्चित करने की योजना बना रहा है कि कुत्तों को ठीक से प्रशिक्षित किया जाए.


बीते महीने कुत्ते ने बुजुर्ग पर हमला किया था


पिटबुल नस्ल के एक पालतू कुत्ते ने 12 जुलाई को लखनऊ में अपने मालिक की बुजुर्ग मां पर हमला कर दिया था, जिससे घायल महिला ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. एलएमसी के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, शहर में 927 लाइसेंस प्राप्त पालतू कुत्ते हैं, जिनमें से 25 अमेरिकी पिटबुल और 178 रॉटविलर हैं तथा दोनों ही अपने आक्रामक स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. राव ने कहा, 'घरों में पालतू जानवर के रूप में रखने से पहले कुछ कुत्तों को ठीक से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है. हम इस पहलू को शामिल करने और शहर में पालतू जानवरों के मालिकों के लिए इसे अनिवार्य बनाने की कोशिश कर रहे है.' उन्होंने कहा, 'हमारी योजना मालिकों को पालतू जानवरों के रूप में ऐसी नस्ल के कुत्तों को रखने के खतरों से अवगत कराने की भी है.'


पालतू कुत्तों के अलावा एलएमसी शहर में आवारा कुत्तों की आबादी की जांच पर भी ध्यान दे रहा है. गर्मी के दिनों में शहर में आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों पर हमला करने के कई मामले सामने आए थे. अप्रैल में ऐसी ही एक घटना में आवारा कुत्तों के हमले में पांच साल के बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि उसकी छह साल की बहन बुरी तरह से घायल हो गई थी. मृतक लड़के के चाचा उबैद ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'मनुष्यों का मित्र माना जाने वाला एक जानवर हमारे बच्चे को हमसे दूर ले गया. सरकार को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय करने चाहिए.' ऐसी घटनाओं के बाद एलएमसी ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया और कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के प्रयास के रूप में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) की गतिविधियों में वृद्धि की.


नगर निगम वैज्ञानिक तरीके से निपटाने का दावा कर रहा


नगर निगम मानव-पशु संघर्ष के मुद्दे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने का दावा करता है. अधिकारी के मुताबिक, एलएमसी एक दिन में औसतन 60 आवारा कुत्तों को नपुंसक बनाता था और यह संख्या अब बढ़ाकर प्रति दिन लगभग 120 कुत्ते कर दी गई है. एलएमसी ने आवारा कुत्तों से संबंधित आपात स्थिति के मामले में लखनऊ के निवासियों की सहायता के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन भी जारी की है. नागरिक हेल्पलाइन का इस्तेमाल कुत्ते के काटने, आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और अपने आसपास के कुत्तों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए करते हैं.


कुत्ते के प्रति किसी भी क्रूरता को रोकने के लिए एलएमसी अधिकारी ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करने का दावा किया. राव ने कहा, 'हम कई पशु अधिकार समूहों के प्रतिनिधियों के साथ भी संपर्क में हैं और आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण में विवाद की किसी भी आशंका को कम करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं.


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