UP Madrasa Act: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया,जिसमें यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट के का फैसले पर लगातार राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं. संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क की भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाली सांप्रदायिक ताकतों के मुंह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तमाचा है उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदुस्तान में संविधान जिंदा है.
सपा सांसद ने यह भी कहा कि बीजेपी को इससे सबक लेना चाहिए. प्राइवेट प्रॉपर्टी पॉलिसी पर उन्होंने सरकार पर सरकारी प्रॉपर्टी बेचने और निजी प्रॉपर्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाया. वहीं हिंदू संगठनों द्वारा सनातन बोर्ड की मांग पर कहा कि हिंदू समाज को यदि जरूरत है तो उनके लिए बोर्ड बनाए. हमें कोई आपत्ति नहीं, सभी धर्मों को हक इंसाफ मिलना चाहिए. सरकार वक्फ बोर्ड बिल वापस ले और अपने गिरेबान म़ें झांके जब हमारा हक नहीं दे पा रहे तो दूसरा बोर्ड बनाने की क्या जरूरत है, यदि सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है तो मुसलमानों को उनके हक और आजादी दे.
मदरसे नहीं दे सकेंगे डिग्री
यूपी मदरसा एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्ट में मदरसा बोर्ड को फाजिल, कामिल जैसी डिग्री देने का अधिकार दिया गया है. यह यूजीसी एक्ट के खिलाफ है. इसे हटा देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिग्री देना असंवैधानिक है, बाकी एक्ट संवैधानिक है. सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने ये फैसला दिया.
मदरसों की डिग्री को यूपी सरकार ने बताया था अमान्य
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि यूपी मदरसा बोर्ड के जरिए दी जाने वाली कामिल और फाजिल डिग्री न यूनिवर्सिटी की डिग्री के समकक्ष है और न ही बोर्ड की ओर से पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों के समकक्ष हैं. इस स्थिति में मदरसे के छात्र उन्हीं नौकरियों के लिए योग्य हो सकते हैं, जिनके लिए हाई स्कूल/इंटरमीडिएट योग्यता की जरूरत होती है.
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