Deoband: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर (Saharanpur) जिले के देवबंद (Deoband) स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने रविवार को आयोजित सम्मेलन में अपना रुख स्पष्ट करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने के फैसले की तारीफ की. जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने रविवार को कहा कि सरकार द्वारा कराए जा रहे मदरसों के सर्वे को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं है और हम सरकार के सर्वे की तारीफ करते हैं. रविवार को देवबंद की मशहूर मस्जिद रशीद में आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम ने प्रदेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किए जाने को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया. इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न मदरसों से आए प्रबंधकों और उलेमाओं ने हिस्सा लिया.
मौलाना अरशद मदनी ने सर्वे में सहयोग की बात कही
सम्मेलन के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा, “हम सरकार के सर्वे कार्य की तारीफ करते हैं और अभी तक सर्वे की जो तस्वीरें आई हैं, वे सही तस्वीर हैं.” मदनी ने मदरसा संचालकों का आह्वान किया कि वे सर्वे में सहयोग करें, क्योंकि मदरसों के अंदर कुछ भी छिपा नहीं है और इनके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि मदरसे देश के संविधान के तहत चलते हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे में सहयोग करते हुए सम्पूर्ण और सही जानकारी दें.
'कोई मदरसा देश के संविधान के खिलाफ नहीं'
मदनी ने कहा कि सम्मेलन में हमने यही कहा है कि मदरसा संचालक अपने दस्तावेज ओर जमीन के कागजात मुकम्मल रखें, वहां का ऑडिट, साफ सफाई और बच्चों की तबीयत आदि पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि कोई मदरसा देश के संविधान के खिलाफ नहीं है और यदि एक-दो मदरसे उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं तो उसके लिए पूरे मदरसा तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए. मदनी ने बताया कि सम्मेलन में मीडिया और अधिकारी वर्ग से मदरसों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की बात कही गई है.
साथ ही सम्मेलन में उपस्थित सभी जिम्मेदार लोगों को इन मदरसों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए सर्वे में सहयोग करने और मदरसों के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी देने की अपील की गई है. उन्होंने कहा कि हमें डरने और घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मदरसों ने आजादी और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है. देवबंद में रविवार को आयोजित इस सम्मेलन में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे और मीडिया को सम्मेलन से दूर रखा गया था. इस सम्मेलन में 12 सदस्यीय संचालन समिति भी गठित की गई है.
यूपी में 16 हजार निजी मदरसे संचालित हो रहे
उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को राज्य में संचालित हो रहे सभी गैर-मान्यता प्राप्त निजी मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके लिए 10 सितंबर तक टीमें गठित करने का काम खत्म कर लिया गया. आदेश के मुताबिक, 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है. प्रदेश में इस वक्त लगभग 16 हजार निजी मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल हैं. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब इनका भी सर्वे किया जाएगा.
इस फैसले को लेकर निजी मदरसों के प्रबंधन और संचालकों ने तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर की हैं. इसे लेकर छह सितंबर को दिल्ली में जमीयत-उलमा-ए-हिंद की एक बैठक भी हुई थी, जिसमें कहा गया कि अगर सरकार सर्वे करना चाहती है तो करे, लेकिन मदरसों के अंदरूनी मामलों में कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए.
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