Uttar Pradesh News: यूपी के महोबा में जिला अस्पताल (Mahoba District Hospital) की अनियमितताओं की खबर चलने के बाद आखिरकार इसका असर भी हुआ है. जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने के साथ-साथ डॉक्टरों के काम की निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी है. अस्पताल में ओपीडी के समय बतौर मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार मौजूद रहे. वे मरीजों को इलाज मिलने की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. डीएम के इस निर्देश के बाद अस्पताल में तैनात डॉक्टरों में हड़कंप मचा हुआ है.


बता दें कि जिला अस्पताल में शासन के निर्देशों के बावजूद भी तैनात डॉक्टरों द्वारा आने वाले मरीजों का आर्थिक शोषण कर बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं. वहीं अस्पताल में दवा कंपनियों के एमआर भी डॉक्टरों से मार्केटिंग करते देखें जाते हैं. कमीशन खोरी के इस खेल पर लगाम लगाने के लिए "एबीपी गंगा" की खबर का बड़ा असर सामने आया है. जिलाधिकारी मनोज कुमार ने जिला अस्पताल में अनियमितताओं और मरीजों को लिखी जा रही बाहर की दवाओं पर रोक लगाने के लिए जिला अस्पताल में ओपीडी के समय में मजिस्ट्रेट की तैनाती की है. 


दी गई सख्त हिदायत
नायब तहसीलदार राजकुमार को बतौर मजिस्ट्रेट तैनात किया गया जो अस्पताल में होने वाली तमाम गतिविधियों पर नजर रखेंगे और मरीजों को बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजेंगे. इसे लेकर गुरुवार को एडीएम रामप्रकाश जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने इस दौरान सीएमएस सहित सभी डॉक्टरों और स्टाफ को सख्त हिदायत देते हुए बाहर की दवा लिखे जाने पर रोक लगाने की हिदायत दी. वहीं बाहर की दवा लिखने पर कड़ी कार्रवाई के भी संकेत दिए हैं. 


क्या कहा एडीएम ने
एडीएम रामप्रकाश ने बताया कि, मीडिया में खबर चलने के बाद शासन के निर्देश पर डीएम ने यह कदम उठाते हुए जिला अस्पताल में मजिस्ट्रेट की तैनाती की है ताकि अस्पताल में कमीशनखोरी के खेल को रोका जा सके और आने वाले मरीजों को शासन के अनुरूप स्वास्थ्य लाभ मिल सके. इसके लिए अस्पताल में नायब तहसीलदार को बतौर मजिस्ट्रेट तैनात किया गया. 


वहीं एडीएम ने बताया कि ओपीडी के वक्त में मजिस्ट्रेट की तैनाती के साथ-साथ इमरजेंसी वार्ड में औचक निरीक्षण भी होते रहेंगे ताकि जिला अस्पताल में बाहर की लिखी जा रही दवाओं की मिल रही शिकायतों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके. यही नहीं अस्पताल में मजिस्ट्रेट के तौर पर रोज अलग-अलग विभाग के अधिकारी तैनात किए जाएंगे ताकि अस्पताल में चल रही अनियमितताएं, बरती जा रही लापरवाही और मरीजों के साथ हो रहे खिलवाड़ पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके.


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