Asim Arun On SC ST Reservation: एससी एसटी रिज़र्वेशन में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उस पर सियासी घमासान मचा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आश्वासन दिया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा. संविधान में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई राजनीतिक दलों में इस पर आपत्ति जताई है. इस पूरे मुद्दे पर योगी सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री असीम अरुण ने खुलकर बात की. 


कैबिनेट मंत्री असीम अरुण ने यूपी तक को दिए खास इंटरव्यू में एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के सवाल पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश में बाध्यता नहीं है ये सिर्फ रास्ता दिया गया है कि राज्य सरकार चाहे तो एससी एसटी आरक्षण में से क्रीमी लेयर हटा सकती हैं. प्राथमिक तौर पर देखने से ये चीजें ठीक दिखती है लेकिन, जब ये होता है कि इसे लागू कैसे करेंगे? तब परत दर परत दिक्कतें शुरू होती हैं. इसमें इतने कॉम्प्लिकेशन है कि समस्या ज्यादा उत्पन्न हो जाएगी. 


एससी एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर पर कही ये बात
असीम अरुण ने कहा कि हमारे संविधान में एससी एसटी को जो आरक्षण दिया गया है उसमें क्रीमी लेयर की बाध्यता नहीं है. क्योंकि संविधान में आरक्षण उस वर्ग को दिया गया, जिनका शोषण होता आया है. जिन्हें बाबा साहेब ने आरक्षण समाजिक रुप से पिछड़ेपन को दूर करने आर्थिक रूप से ताकत देने के लिए है. लेकिन, इसके साथ-साथ ये गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है. ये प्रतिनिधित्व की बात है. किसी भी स्थान पर जहां पर निर्णय होना है. जहां कोई समूह वहाँ पर.. ये सिर्फ सरकारी नौकरी की बात नहीं है.. सभी जगह प्रतिनिधित्व होना चाहिए, यहाँ मैं महिलाओं की भी बात करूँगा और ओबीसी समाज की भी बात करूँगा. जिनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए और उसी के हिसाब से हमारा संविधान बनाया गया है. 



उन्होंने कहा कि अगर इसमें और उपवर्गीकरण किया जाएगा तो उसमें और बाधाएं शुरू हो जाएंगी. क्रीमी लेयर को लेकर पार्टी के रुख पर उन्होंने कहा अभी इस पर गहनता से नीतिगत चर्चा हो रही है. तमाम बातों को ध्यान में रखकर ही कुछ कहा जा सकता है. जो एससी एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर की बात हो रही है. उसपर एकमत से सबने कहा एससी एसटी में क्रीमी लेयर लाना व्यवहारिक नहीं होगा और ये संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है. 


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