Lucknow News: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) से मुलाकात पर खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव (Girish Chandra Yadav) ने कहा कि राजनीतिक दृष्टि से अखिलेश यादव 2024 के चुनाव में लोगों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं और इसी बात का संदेश देने को जगह-जगह जा रहे हैं. लेकिन 2019 के चुनाव में भी पश्चिम बंगाल से दीदी की हुंकार भरवाई, उत्तर प्रदेश में बुआ बबुआ का गठबंधन बनाया और जितनी रणनीति हो सकती थी पीएम मोदी को रोकने के लिए प्रयास किया. उसी तरह से फिर चल रहे हैं. लेकिन अखिलेश यादव कितना भी प्रयास कर लें देश की जनता मोदी-योगी, भाजपा पर विश्वास करती है. इसलिए उनके बहकावे, महागठबंधन के झांसे में नहीं आने वाली. अखिलेश बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र चाहे जहां जाएं उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.


गिरीश यादव ने कहा कि अखिलेश यादव कहीं चले जाएं, जब उत्तर प्रदेश की जनता उनको लगातार नकार रही जहां वह मुख्यमंत्री रहे और दो बार मुख्यमंत्री बनने की कोशिश कर चुके तो देश की जनता क्या स्वीकार करेगी. अखिलेश यादव को चाहिए कि राजनीति से संन्यास लें और घर बैठकर ठीक तरह से अध्ययन करें. क्योंकि वरासत और विरासत के आधार पर उनको सत्ता मिली, संघर्षों के आधार पर नहीं. अखिलेश यादव गरीबी जानते ही नहीं क्योंकि बड़े बाप के बेटे हैं. उन्हें कभी गरीबी महसूस नहीं हुई, उन्होंने कभी गरीबी देखी नहीं. उनके मुख्यमंत्री काल में जो प्राइमरी के स्कूलों की दशा थी वह सब ने देखी. होमगार्ड वाला ड्रेस, बैठने की जगह नहीं, शौचालय नहीं, जर्जर भवन. लेकिन योगी सरकार ने उसे बदला क्योंकि योगी आदित्यनाथ गरीबी में पले बढ़े और गरीबी को जानते हैं, किसानों के बारे में जानते हैं. इसलिए ऑपरेशन कायाकल्प से उन स्कूलों की दशा बदली जहां गरीब और कमजोर का बच्चा पढ़ता है. अखिलेश यादव 5 साल मुख्यमंत्री थे कौन सा गरीबों के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की, कितने गरीबों के लिए आवास बनवाएं और आज कितने आवास बन गए.


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जनाधार घटता है तो ऐसे ही आरोप लगाते हैं- गिरीश यादव
सहकारी समितियों के चुनाव में सपा के आरोपों पर मंत्री गिरीश यादव ने कहा कि जब इनका जनाधार घटता है तो ऐसे ही आरोप लगाते हैं. अखिलेश यादव की पुरानी आदत है कभी कहेंगे ईवीएम खराब है कभी कहेंगे जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, जो अधिकारी हैं वह सत्ता के इशारे पर काम कर रहे हैं. लेकिन मैनपुरी का चुनाव हो गया तब ना ईवीएम को दोष दिया ना अधिकारियों को. जहां जीत जाते हैं वहां ईवीएम ठीक रहती हैं जहां हार जाते हैं आरोप लगाने का काम करते हैं. यह चीज जनता भी जान चुकी है इसीलिए जनता ने उन्हें नकार दिया है.