EXCLUSIVE: सरकार बदली, विभाग का नाम बदला, लेकिन नहीं रुका भ्रष्टाचार; मनमर्जियां करते अफसर
कमीशनखोर अफ़सरों की मनमानी के चलते आज भी विभाग में करोड़ों की बंदरबांट, निर्माण कार्य में धांधली की जा रही है। आप यह जानकर और भी हैरान हो जाएंगे कि इस गड़बड़ी पर विभाग के मंत्री और कमिश्नर तक बेबस, लगाम कसने में नाकाम हो गए हैं।
लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के जिस विभाग की घूसखोरी और घोटाले में अखिलेश यादव सरकार में बीएसपी के तमाम मंत्री और अफसरों को जेल भेजा गया। आज, उस विभाग का भले ही नाम बदल दिया गया हो लेकिन अफसरों की कारस्तानी और घपलेबाजी जस की तस चल रही है।
कमीशनखोर अफ़सरों की मनमानी के चलते आज भी विभाग में करोड़ों की बंदरबांट, निर्माण कार्य में धांधली की जा रही है। आप यह जानकर और भी हैरान हो जाएंगे कि इस गड़बड़ी पर विभाग के मंत्री और कमिश्नर तक बेबस, लगाम कसने में नाकाम हो गए हैं। प्रदेश सरकार ने भले संस्था का नाम बदल दिया हो लेकिन सूरत नहीं बदल पाई है।
बीती सपा और बसपा सरकार में घोटालो के लिए कुख्यात हो चुकी निर्माण इकाई, लैकफेड आज प्रदेश की योगी सरकार में सीएलडीएफ के नाम से जानी जाती है। लेकिन विभाग का नाम बदला है सीरत नहीं। हमारी इस बात को विभाग के ये दस्तावेज साबित भी करते हैं।इसी घूसखोरी से तंग आकर यूपी सरकार की समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग की राज्य मंत्री गुलाब देवी ने चिट्ठी भी लिखी है। दरअसल, गुलाब देवी ने 3 और 4 जनवरी 2019 को बहराइच,श्रावस्ती और बलरामपुर में राजकीय आश्रम पद्धति के स्कूलों का निरीक्षण किया। मंत्री के साथ टेक्निकल टीम भी थी। पाया गया कि निर्माण कार्य बेहद घटिया है। अफसरों ने इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालकर अपनी तिजोरी भर ली। देखें, एबीपी गंगा के कैमरे में कैद भ्रष्टाचार के सबूत निर्माण की कार्यदाई संस्था सीएलडीएफ और ठेकेदार के इस गठजोड़ को देखकर राज्य मंत्री ने महकमे के अफसरों को सीएलडीएफ के सभी पेमेंट रोकने और जांच कराने के आदेश तक दे दिए। राज्य मंत्री गुलाब देवी ने 7 जनवरी को लिखी अपनी इस चिट्ठी में गड़बड़ी करने वाले अफसरों पर एफआईआर दर्ज कराने के तक आदेश दिए गए। विभागीय मंत्री के इस पत्र के बाद समाज कल्याण आयुक्त चंद्र प्रकाश ने भी सीएलडीएफ के द्वारा कराए गए सभी कार्यो की जांच करने और विभाग को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया।
लेकिन यह क्या?अब इसे सीएलडीएफ के अफसरों का रुतबा कहें या फिर भ्रष्टाचारी अफसरों के गठजोड़ का नतीजा, कि मंत्री और आयुक्त के शिकायती पत्रों पर सीएलडीएफ को ब्लैक लिस्ट कर एफआईआर दर्ज कराने के बजाय 8 मार्च को सीएलडीएफ से एक और बड़े निर्माण के लिए अनुबंध कर दिया गया। 91.9 6 करोड़ में से 6 करोड़ 23 लाख की पहली किस्त तक सीएलडीएफ को जारी कर दी गई।
एबीपी गंगा के पास मौजूद दस्तावेज़ों पर जब हमारी टीम सपा सरकार के जमाने से जमें विभाग के प्रमुख सचिव मनोज सिंह के बापू भवन स्थित दफ्तर पहुंची तो दफ्तर बन्द था,पता चला साहब चुनावी माहौल मे विदेश टूर पर है। जापान गए हैं। इसके बाद हमारी टीम कार्रवाई की चिट्ठी लिखने वाले समाज कल्याण आयुक्त चंद्र प्रकाश के पास पहुंची तो चंद्र प्रकाश ने अपनी मजबूरियों का हवाला देते हुए कैमरे पर घोटाले की परतों को खोलने से मना कर दिया, और कहने लगे... मजबूरी है विभाग के मुंह नहीं खोल सकते।
इसके बाद एबीपी गंगा की टीम ने विभाग के कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री से भी संपर्क साधा तो पता चला मंत्री जी चुनाव में व्यस्त हैं और गोंडा में पार्टी को चुनाव लड़ा रहे हैं। यह अलग बात है कि मंत्री जी को अपने ही विभाग में फैला भ्रष्टाचार नजर नहीं आया। फिर हमने सीएलडीएफ के भ्रष्टाचार पर शिकायत करने वाली राज्य मंत्री गुलाब देवी से पूछा कि आपकी चिट्ठी लिखने के बावजूद कार्रवाई के बजाए कैसे सीएलडीएफ को इतना बड़ा ठेका दे दिया गया। मंत्री की चिट्ठी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? तो मंत्री गुलाब देवी कहती है कि उन्होंने तो विभाग के अफसरों से लेकर कैबिनेट मंत्री से तक शिकायत की थी लेकिन इन शिकायतों के बावजूद सीएलडीएफ को ठेका दिया गया है तो इसके लिए चुनाव के बाद जरूर तहकीकात करेंगे।