UP Budget Session 2023: यूपी सरकार में पिछड़ा कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप (Narendra Kashyap) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) द्वारा सदन में दिए गए भाषण पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि आज के उनके भाषण में बड़ी निराशा थी, बड़ी हताशा थी, फ्रस्ट्रेशन था सत्ता से दूर होने का, जो भी उनके भाषण में चीजें आई तर्क और तथ्य से परे थी. उनका कोई आधार नहीं था. वो किसी भी ऐसी चीज पर बात नहीं कर पाए, ऐसी भी कोई चीज नहीं कह पाए जो सरकार की नीति पर कोई सवाल खड़ा कर पाते. 


मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव ने सत्ता का विरोध करने के लिए अपनी बातें कहीं, अन्यथा उन्होंने बजट को पढ़ा होता तो ये नहीं कहते. ये बजट जो सर्वाधिक धनराशि वाला बजट है, इस बजट में उद्योगपति से गांव के अंतिम व्यक्ति तक के विकास का खाता है. वो जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं, उन्होंने ओबीसी कल्याण के बजट को नहीं पढ़ा उनको पता होना चाहिए था, पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए हमारी सरकार ने 500 करोड़ से ज्यादा का इंतजाम किया है. अखिलेश यादव की सत्ता से हटने की निराशा थी या ये केवल विरोध के लिए विरोध था.


अखिलेश यादव पर साधा निशाना


नरेंद्र कश्यप ने कहा कि जब करने वाले का हौसला, प्लानिंग मजबूत होती है तो हर काम हो सकता है. एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने का लक्ष्य जो मुख्यमंत्री ने निर्धारित किया है वो प्रदेश और देश को मालूम है. 10 से 12 फरवरी के बीच जो ग्लोबल समिट के माध्यम से 34 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए जिसका असर आने वाले 6 महीनों के बाद दिखना शुरू होगा. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में उद्योग बढ़ेगा, नौकरी कारोबार बढ़ेगा तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले समय में यूपी की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन होगी. 


जातीय जनगणना पर क्या बोले


नरेंद्र कश्यप ने कहा कि वो चार बार सत्ता में रहे. 2012 से 2017 तक क्या किसी ने उनको रोका था जातीय जनगणना कराने से, लेकिन नहीं कराया. अखिलेश यादव पिछड़े समाज के लोगों को गुमराह करते हैं. उनके बीच में गलतफहमी पैदा करते हैं, उनके बीच में यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि बीजेपी पिछड़ा विरोधी है, लेकिन पिछड़ा समाज के लोग जानते हैं जितनी हिस्सेदारी बीजेपी सरकार ने दी है उतनी कभी नहीं मिली. समाजवाद के नाम पर इन्होंने पार्टी बनाई चलाई जरूर है लेकिन जब भी सत्ता में आते हैं पिछड़ों की बड़ी संख्या इनकी सरकार से और संगठन से दूर रहती है. 


मंत्री ने कहा कि सरकार ने फैसला लिया था निकाय चुनाव समय कराया जाए जो स्थितियां हैं उसके अनुरूप जो आरक्षित वर्ग है उनको आरक्षण देते हुए, लेकिन सपा को ये पसंद नहीं था. उन्होंने अपनी पार्टी के लोगों से केस कराया और स्टे हुआ. अगर स्टे ना हुआ होता तो अब तक नगर पालिका के चुनाव हो गए होते और पिछड़े समाज के बहुत सारे लोग मेयर बनते, अध्यक्ष बनते चेयरमैन बनते, लेकिन हमारी सरकार ने हाई कोर्ट के निर्णय को मानते हुए आयोग बनाया आयोग अपना काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि हो सकता है अप्रैल में चुनाव हो जाए. 


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