Mathura News: उत्तर प्रदेश के मथुरा में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के आधार पर स्टाप एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बड़ा एक्शन लिया है. जिसके तहत उन्होंने लोगों के पंजीयन के बाद रजिस्ट्री की मूल डीड देने में देरी के आरोप सही पाए जाने पर पूरे रजिस्ट्री ऑफिस को ही निलंबित कर दिया. भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश में ये अपने तरह की पहली कार्रवाई की गई है. जिसकी चर्चा की जा रही है. 
 
मंत्री रवींद्र जायसवाल को शिकायत मिली थी कि मथुरा रजिस्ट्री विभाग में लोगों को पंजीयन के बाद भी मूल रजिस्ट्री की डीड देने में जानबूझकर देरी की जा रही है, जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने जांच में सारे आरोप सही पाए, जिसके बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को दी.  रिपोर्ट के आधार में सरकार की ओर से 18 दिसंबर को उप निबंधक समेत तीन अधिकारी और कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है. 


जांच रिपोर्ट के बाद हुई कार्रवाई
खबर के मुताबिक मंत्री रवींद्र जायसवाल को तीन दिसंबर को फोन पर शिकायत मिली थी कि वृंदावन के साधुराम तौरानी ने फ्लैट की रजिस्ट्री के बाद मूल डीड एक दिन बाद दी गई थी. जबकि नियमों के हिसाब से रजिस्ट्री के तत्काल बाद मूल डीड वापस करने का नियम है. प्राथमिक जांच के दौरान ये शिकायत सही पाई गई जिसके बाद मंत्री महोदय के निर्देश पर उप निबंधक प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी, कनिष्ठ सहायक प्रदीप उपाध्याय और सतीश कुमार चौधरी को विभिन्न जनपदों से संबद्ध कर दिया गया था. 


इसके बाद मामले की जांच अयोध्या मंडल के उप महानिरीक्षक निरंजन कुमार को दी गई. बुधवार को इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी. जांच में सामने आया है कि भ्रष्टाचार की मंशा से मूल कॉपी देने में देरी की गई. जिसके बाद मंत्रालय की ओर से सभी अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया.