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Minority Scholarship: 8वीं तक के अल्पसंख्यक छात्रों की स्कॉलरशिप बंद होने पर सियासत, सपा ने क्या कहा?
आठवीं तक की अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप को बंद करने पर उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया है. सपा ने कहा कि मदरसा सर्वे की आड़ में सरकार बच्चों का साइज नापना चाह रही थी.
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Minority Scholarship: क्लास एक से आठ तक में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को शैक्षिक सत्र 2022-23 से स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी. केंद्र सरकार ने निर्देश जारी कर दिया है. सत्र 2021-22 के दौरान उत्तर प्रदेश (UP) में एक से 10 क्लास तक 8 लाख, 43 हज़ार 426 छात्रों को 317.53 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी. 75 फीसदी के करीब छात्र एक से आठ तक क्लास के हैं. इस हिसाब से करीब छह लाख अल्पसंख्यक छात्रों को अब स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी. क्लास एक से पांच तक के छात्रों को हर वर्ष एक-एक हजार रुपये दिए जाते हैं. छठवीं से आठवीं तक के लिए छात्रवृत्ति की राशि अलग-अलग है. इसमें मदरसे, सरकारी स्कूल, अनुदानित स्कूल, मान्यता प्राप्त निजी स्कूल के छात्र शामिल हैं.
अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप बंद करने पर तेज हुई सियासत
क्लास एक से आठ तक स्कॉलरशिप को बंद करने की वजह राइट टू एजुकेशन एक्ट (RTE) कानून 2009 का लागू होना बताया गया है. कानून के तहत सरकार एक से आठवीं तक के छात्र छात्राओं को मुफ्त अनिवार्य शिक्षा दिलाने को बाध्य है. मदरसा एक्ट में पहले से ही फ्री शिक्षा का प्रावधान है. सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा के साथ ही बच्चों को किताबें, यूनिफार्म, मिड डे मील मिलता है. अल्पसंख्यक छात्रों की स्कॉलरशिप बंद करने पर सियासत भी शुरू हो गयी है.
सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने आरोप लगाया कि 2014 में बीजेपी सरकार के आने पर एससी, एसटी, ओबीसी को मिलने वाली स्कॉलरशिप के बजट कम कर दिए गए. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि मां बाप बच्चों को भेजना नहीं चाहते. मदरसे में अल्पसंख्यकों के 3 फीसदी बच्चे पढ़ते हैं. अमीक ने कहा कि मदरसा सर्वे को छात्रों के हित में होने का सरकार ने दावा किया था. लेकिन अब समझ आया कि सरकार सर्वे से अल्पसंख्यक छात्रों का साइज नाप रही थी.
यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद क्या बोले?
उन्होंने कहा कि पसमांदा समाज के बच्चों की पढ़ाई स्कॉलरशिप नहीं मिलने से खत्म हो जाएगी. मौलाना सुफियान निज़ामी ने कहा कि मदरसे आरटीई एक्ट के दायरे में नही आते हैं. स्कॉलरशिप बंद करने से अल्पसंख्यक छात्रों को असुविधा होगी और पढ़ाई भी बाधित होगी. उन्होंने सरकार से आदेश पर दोबारा विचार करने और स्कॉलरशिप को जारी रखने की मांग की. यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सरकार का आदेश सिर्फ मदरसा के बच्चों के लिए नहीं है. क्लास एक से आठ तक के सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है. इस मामले में सिर्फ मदरसों का नाम लेना उचित नहीं.
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