Ayodhya Rape Case: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद अयोध्‍या गैंगरेप पीड़िता को न्‍याय दिलाने के लिए पूरी तरह से डटे हुए हैं. वह पीड़िता और उसके परिवार से मिलने के बाद फफककर रो पड़े. इस मामले में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने सपा पर जमकर हमला बोला है. उन्‍होंने कहा कि पीडीए का इनका नारा झूठा है. वे ‘पी’ पिछड़ा और ‘डी’ दलित में भी हैं, वे दोनों जगह हमनाम हैं. इन्‍होंने हमें निकालकर एससी में रखा है. ओबीसी में लटकाकर शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और रोजगार लूटा. पीडीए का नारा है, क्‍या वो निषाद-दलित की बेटी पीडीए में नहीं है, तो कहां है. उसमें जो ‘ए’ है, वो इज्‍जत लूट रहा है. वो उनका बेस वोट बना हुआ है. मजबूरी है कि सपा उन्‍हें नहीं निकाल रहा है.


कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि कोई भी राजनीतिक दल हो. वो किसी अपराधी को संरक्षण देना बंद करें. क्‍योंकि किसी अपराधी की जाति नहीं होती है. ये बड़े शर्म की बात है कि वे सपा नगर अध्‍यक्ष हैं. आखिर क्‍या मजबूरी है कि गरीब की इज्‍जत लूटी गई है, तो वहां के सांसद उसके साथ नहीं खड़े हैं. वे उससे मिलने क्‍यों नहीं गए. वे दोषी को सख्‍त सजा देने की मांग करते हैं. रात में 12 बजे उनका चेयरमैन जाकर धमकी देता है. मुकदमा वापस ले लो, रुपये ले लो और अबार्शन करा लो. साल 2012 से उसके घर में चौकी चल रही थी. सांसद से प्रेसवाले पूछते हैं, तो कहते हैं कि उन्‍हें कुछ पता नहीं है. इस घटना के बाद घर बैठ जाते हैं, पीड़िता से नहीं मिलते हैं ये साबित‍ करता है कि उनके समाज के लोगों ने उनके ऊपर भरोसा किया. 


समाज के लोगों के साथ खड़े रहेंगे-संजय निषाद


कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्‍होंने समाज के लोगों को आश्‍वस्‍त किया है कि वे उनके साथ खड़े रहेंगे. उनके साथ जहां भी अन्‍याय होगा, वहां पर वे रहेंगे. समाज की बेटी उनकी बेटी है. समाज ने जब उन्‍हें जिम्‍मेदारी दे दी है, तो पीड़िता से मिलने के बाद उसके दर्द को बयां नहीं‍ किया जा सकता है. 12 साल की लड़की कितनी सहमी हुई है. उसके साथ सामूहिक गैंगरेप होता है. इसमें सपा के नेता का नाम आता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी घटना में महिला के साथ अन्‍याय होता है तो आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्‍त कार्रवाई की जाए. उसके बाद भी उनके वोटों पर सत्‍ता में आने वाले सपा-बसपा और कांग्रेस वाले लोग क्‍यों नहीं सत्‍ता में आते हैं.


उन्होंने कहा कि निषाद हट गए तो वे सत्‍ता में नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे वोटों पर सत्‍ता में आने वालों का डीएनए कराने की बात करते हैं. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और निषादराज उसी पवित्र भूमि पर गुरुकुल में पढ़ते थे. सुमंत वहीं पर महामंत्री हुआ करते थे, उसके वंशज ने भगवान राम को पार उतारा. मुगलों और अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा. देश को आजाद कराया और स‍ंविधान बनवाया. साल 1931 से लेकर 1961 तक आज भी उसका संविधान में लेदरमैन, वाशरमैन, फिशरमैन स‍ंविधान में एससी की सूची में सूचीबद्ध हैं. ऐसे लोगों ने जो देश के आजाद कराया है, उनके परिवार के लोगों के पास घर नहीं है. बाप नहीं है, घर में पंखे नहीं हैं. एक मां है, मजदूरी कर रहे हैं.


क्‍या हाल है उनके समाज के लोगों के कभी वे ताकतवर थे, गौरवशाली थे. मुगलों-अंग्रेजों को भगाने में उन लोगों ने योगदान दिया. उनके समाज के लोगों की दशा और दिशा एससी-एसटी से खराब है. इन्‍हें सुरक्षा, शिक्षा, मकान और रोजगार द‍िया जाना चाहिए. ये लागू हुआ होता तो आज आंसू गिरने का यही कारण था. उन्‍हें कल पता चला कि एससी जाति में क्‍यों नहीं डाला गया. नदियों के किनारे ये लोग रहते थे. नदियों के किनारे निषाद हैं, नदियों के किनारे शहर हैं. 


निषाद की आवाज नहीं है निषाद सांसद


कैबिनेट मंत्री ने कहा कि संतकबीरनगर और सुल्‍तानपुर के सांसद भी जिन्‍हें निषादों ने जिताया है. लेकिन वे भी निषादों के साथ खड़े रहने का वादा पूरा नहीं कर रहे हैं. समाज को पार्टियां ले जाएंगी और मजबूर कर देंगी. वे गुलाम बनकर रहेंगे, निषाद समाज ने कहा कि हमारा सांसद होगा, तो आवाज उठाएगा. तो आवाज कहां गुम हो गई. निषाद की आवाज नहीं है, वो सपा की आवाज हैं और उनके इशारे पर चल रहे हैं.


 संजय निषाद ने नजूल बिल की सियासत पर दी प्रतिक्रिया


वहीं नजूल की जमीन को लेकर हो रही सियासत पर संजय निषाद ने कहा कि विकास के लिए कानून लाया जाता है. जहां नजूल की भूमि है, जिस तरह से ग्राम सभा की भूमि है. घरौंदे मिल रहे हैं, तो ठीक उसी तरह शहरों और नगर पंचायत में भी उन्‍हें घरौंदे दे दें. क्‍योंकि 1857 में उजड़ी हुई 578 जातियां हैं, जो ट्राइबल हैं. उनके पास न कागज है न कुछ है, शहरों के किनारे निषाद भी किसी कागज के बगैर बसे हुए हैं. इस पर सीएम का बयान आ गया है, इस पर कुछ बोलना ठीक नहीं है. लेकिन वे इतना जरूर कहेंगे कि पहले किसी को भी स्‍थापित किया जाए,  तब विस्‍थापित किया जाए. इस बात पर सरकार विचार कर रही है. इसीलिए विधान परिषद में इसे समिति को भेज दिया गया है, निश्चित रूप से इसमें गरीबों के साथ न्‍याय होगा.