उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा परिषद का चुनाव होने  जा रहा है. विधान परिषद के 36 सीटों के लिए नामांकन शुरू हो चुका है. 9 अप्रैल को चुनाव होगा और जिसके नतीजे 12 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे. कई बार लोगों के जैहन में ये सवाल उठता है कि विधान परिषद के चुनाव कैसै होता है. राज्य में विधानपरिसद की सीटें कितनी है और ये चुनाव विधानसभा चुनाव से कैसे अलग है?


विधानपरिषद स्थाई सदन होता है यानी इसे भंग नहीं किया जाता सकता है. इसके सदस्यों को एमएलसी यानी मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल कहा जाता है. इनका औहदा एमएलए (विधायक) के बराबर ही होता है. देश के 6 राज्यों में विधानसभा के साथ-साथ विधानपरिषद की भी व्यवस्था है. ये राज्य बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना हैं. विधान परिषद में विधानसभा का एक तिहाई सदस्य हो सकते हैं. यानी यूपी में विधानसभा की 403 सीटे हैं तो यहां अधिकतम विधान परिषद के 134 सदस्य हो सकते हैं. इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्यों का होना जरूरी है. 


कैसे होता है विधान परिषद का चुनाव


विधान परिषद का चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 30 साल है और इसका कार्यकाल 6 साल के लिए होता है. इस चुनाव में जनता वोट नहीं करती है बल्कि जनता के जनप्रतिनिधि इसमें वोट करते हैं. विधान परिषद के एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं. इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 1/12 सदस्य शिक्षक और 1/12 सदस्य रजिस्टर्ड ग्रेजुएट द्वारा चुने जाते हैं. इसके बाद बाकी के सदस्यों को राज्यपाल मनोनित करता है. उदाहरण के तौर पर यूपी के 100 विधान परिषद सदस्यों में से 38 सदस्यों के चुनाव में विधायक हिस्सा लेते हैं. 36 सदस्य जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और नगर पालिक के प्रतिनिधि द्वारा चुने जाते हैं. 8-8 शिक्षक और रजिस्टर्ड ग्रेजुएट चुनते हैं इसके अलावा 10 सदस्यों को राज्यपाल मनोनित करता है.  


विधान परिषद के चुनाव में पार्टी सिंबल नहीं होता है बल्कि उम्मीदवारों का नाम लिखा होता है. जिसके आगे अपनी प्राथमिकता लिखनी होती है. जिस उम्मीदवार के आगे सबसे अधिक प्राथमिकता मिलती है वो चुनाव जीत जाता है.  


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