UP MLC Election 2022: यूपी एमएलसी चुनाव में कौन किस पर है भारी? जानिए- वोटिंग की प्रक्रिया और राजनीतिक समीकरण
यूपी एमएलसी चुनाव (UP MLC Election) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) द्वारा उम्मीदवार उतारने के बाद वोटिंग होनी तय है. ऐसे में हम चुनाव में वोटिंग की प्रक्रिया और चुनाव के समीकरण को समझते हैं.
UP News: उत्तर प्रदेश में सोमवार को विधान परिषद चुनाव (UP MLC Election) में नामांकन का आखिरी दिन है. राज्य में एमएलसी की दो सीटों पर चुनाव हो रहा है. माना जा रहा है कि इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी (BJP) की जीत तय है. इन सीटों पर बीजेपी ने धर्मेंद्र सैंथवार (Dharmendra Singh Sainthwar) और निर्मला पासवान (Nirmala Paswan) को मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने हार तय होने के बाद भी कीर्ति कोल (Kirti Kol) को अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में अब इस चुनाव में वोटिंग होना तय है. तो हम इस चुनाव में वोटिंग की प्रक्रिया और चुनाव के समीकरण को समझते हैं.
कैसे होता है चुनाव
यूपी विधान परिषद का यह चुनाव वरीयता का चुनाव होता है. यानी विधायक तीनों उम्मीदवार के नाम के आगे वरीयता क्रम एक, दो और तीन लिखेंगे. हालांकि इसमें वोटिंग होगी और किसे कितने वोट मिलने पर उसकी जीत तय होगी, इस समीकरण को समझना भी खास है.
इस एमएलसी चुनाव में जितनी सीटों पर चुनाव होना है, उस संख्या में एक जोड़ते हैं. इसके बाद विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या में उससे भाग दे देते हैं. भाग देने के बाद जो संख्या आती है उसमें फिर से एक जोड़ देते हैं. इस फार्मूला के अनुसार दो सीटों पर चुनाव होना है तो हम तीन से 403 में भाग देंगे, तो इस बार एक उम्मीदवार को जीत के लिए 134.3 वोट की जरूरत होगी. यानि चुनाव में एक सीट जीतने के लिए 134 विधायकों के वोट की जरूरत है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह आंकड़ा जुटाना बेहद आसान है.
क्या है समीकरण
अब बात संख्या बल के आधार पर करते हैं. बीजेपी के पास अपने 255 विधायक हैं, उसके सहयोगी अपना दल के 12 और निषाद पार्टी के छह विधायक हैं. यही संख्या मिलाकर 273 हो जाती है. जबकि राष्ट्रपति चुनाव में जिन लोगों ने बीजेपी की मदद की अगर उनको भी जोड़ लिया जाए तो शिवपाल यादव का एक वोट, राजा भैया के दो वोट और ओम प्रकाश राजभर के छह वोट यानी कि यह संख्या बढ़कर 282 हो जाती है.
जबकि सपा की बात करें तो उसके अपने कुल 111 विधायक हैं. शिवपाल यादव को उसमें से अलग कर दें तो 110 विधायक होते हैं. जबकि आरएलडी के आठ विधायकों को जोड़ दें तो ये संख्या 118 ही होती हैं. ऐसे में प्रथम वरीयता के 135 वोट से भी सपा पीछे छूट जाती है. जबकि दूसरी वरीयता में भी बीजेपी के दोनों उम्मीदवारों को उतने ही वोट मिलने की उम्मीद है.
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