UP MLC Election News: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों पर 21 मार्च को चुनाव होने जा रहा है. इसमें एक सीट के लिए सपा और बीजेपी जोड़ तोड़ करेगी तो वहीं बसपा इस बार कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा कर पाएगी. उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों पर 21 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं. इन 13 सीटों के सदस्यों का 5 मई को कार्यकाल खत्म हो रहा है. इस दौरान लोकसभा चुनाव होने के कारण निर्वाचन आयोग ने विधान परिषद का चुनाव 21 मार्च की सुबह 9:00 से शाम 4:00 बजे तक करने का फैसला किया है.


इन सदस्यों का हो रहा कार्यकाल खत्म


जिन 13 सीटों पर चुनाव होने है उन पर मौजूदा समय में बीजेपी के जो सदस्य हैं उनमें भारतीय जनता पार्टी के दस, अपना दल (एस), सपा  और बसपा के एक-एक सदस्य है. बीजेपी से यशवंत सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्यासागर सोनकर, डॉक्टर सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, निर्मल पासवान और मोहसिन राजा हैं. अपना दल (एस) के आशीष पटेल, समाजवादी पार्टी के नरेश उत्तम पटेल और बहुजन समाज पार्टी के भीमराव अंबेडकर हैं.


इनका कट सकता है टिकट


विधान परिषद में जो 13 लोग इन सीटों पर अभी सदस्य हैं उनमें लगभग 6 से 7 नए नाम इस बार सामने आ सकते हैं. वहीं बाकी 6 से 7 लोगों को दुबारा विधान परिषद में भेजा जा सकता है. बीजेपी की तरह से जिन लोगों के नाम कट सकते हैं उसमें डॉक्टर सरोजिनी अग्रवाल, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, निर्मल पासवान और मोहसिन रजा हैं. इसके साथ ही बसपा की तरफ से भी किसी का जाना मुश्किल हैं. 


ये नेता फिर से जा सकते हैं विधान परिषद


वहीं विजय बहादुर पाठक, विद्या सागर सोनकर, अशोक कटारिया, महेंद्र सिंह, आशीष पटेल, नरेश उत्तम पटेल के दुबारा विधान परिषद जाने की पूरी संभावना है.


यशवंत सिंह को लेकर है अभी संशय 


यूपी के कद्दावर नेताओं में शुमार यशवंत सिंह को लेकर संशय बरकरार है. यशवंत सिंह 2 बार आजमगढ़ की मुबारकपुर विधान सभा सीट से विधायक और 2004 से 2017 तक सपा के विधानसभा सदस्यों द्वारा निर्वाचित होकर विधान परिषद पहुंच चुके हैं. वहीं 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने पर सीएम बने रहने के लिए उन्होंने अपनी विधान परिषद की सीट खाली करते हुए सपा से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद में वो बीजेपी में शामिल हुए और 2018 में बीजेपी की तरफ से विधान परिषद पहुंचे. यशवंत सिंह को 2022 में उस समय बीजेपी की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा जब उस समय हो रहे विधान परिषद के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे विक्रांत सिंह रिशु को बीजेपी से बगावत कर चुनाव लड़ाया था. रिशु सिंह का पर्चा भरवाने के बाद यशवंत सिंह की बीजेपी की सदस्यता चली गई थी. अब देखना होगा कि इस चुनाव में क्या यशवंत सिंह को बीजेपी दुबारा से पार्टी में लेती है?


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