लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों के लिये 28 जनवरी को होने वाले चुनाव दिलचस्प होने वाला है. बीजेपी के 10 उम्मीदवारों की जीत महज औपचारिकता रहेगी. वहीं, 13वें उम्मीदवार के आने से समाजवादी पार्टी की दिल की धड़कन जरूर बढ़ गई है. वहीं बीजेपी की जीत विधान परिषद में उनकी ताकत को बढ़ाएगा लेकिन फिर भी उच्च सदन में बहुमत उनके पास नहीं होगा. वहीं सपा का नुकसान तय माना जा रहा है. वहीं, 13वें उम्मीदवार का पर्चा खारिज होने की स्थिति में सपा अपने दोनों प्रत्याशियों को बिना किसी दिक्कत के विधानपरिषद में पहुंचा देगी.


निर्दलीय प्रत्याशी का पर्चा हो सकता है खारिज


इस चुनाव में 12 सदस्य निर्विरोध निर्वाचित होंगे तब, जब निर्दलीय प्रत्याशी महेश शर्मा का पर्चा खारिज हो जाये. इसकी पूरी संभावना नजर आ रही है. 13वें उम्मीदवार के रूप में उतरे महेश शर्मा को किसी भी दल का कोई समर्थन नहीं मिला है, और न ही 10 विधायकों के प्रस्तावक की शर्त को पूरा किया गया है. ये माना जा रहा है कि उनका पर्चा चुनाव आयोग खारिज कर सकता है.


विधान परिषद में बढ़ेगी बीजेपी की ताकत


गौरतलब है कि विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी के 10 उम्मीदवार डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, कुंवर मानवेन्द्र सिंह, पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा, गोविन्द नारायण शुक्ला, सलिल विश्नोई, अश्वनी त्यागी, धर्मवीर प्रजापति, सुरेन्द्र चौधरी और लक्ष्मण आचार्य निर्विरोध चुन लिये जाएंगे. वहीं, समाजवादी पार्टी की ओर से अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी की भी जीत तय मानी जा रही है. बीजेपी की जीत के बाद विधान परिषद में पार्टी का संख्या बल बढ़ेगा लेकिन बहुमत से फिर भी दूर रहेंगे.


बीजेपी को बड़ा फायदा


हालांकि भारतीय जनता पार्टी को सात सदस्यों का लाभ होगा तो, एसपी को चार सीटों का नुकसान. वहीं, बीएसपी को तीन सीटों का नुकसान हो रहा है. आपको बता दें कि, एसपी के छह सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, इनमें से दो सदस्य ही पहुंच पाएंगे, जबकि बीजेपी के तीन सदस्य का कार्यकाल पूरा हुआ है और वो 10 सीटें जीत रही है. कांग्रेस की स्थिति यहां पर बेहद खराब है, उसके तीन सदस्य अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं.


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