UP News: धार्मिक स्थलों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में दायर हुए मुकदमे और धार्मिक स्थलों पर सर्वे से जुड़े विवाद के बीच देश की सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है. इस फैसले के तहत अब फिलहाल अगले 4 हफ्ते तक धर्मस्थलों से जुड़ा कोई नया मुकदमा दायर नहीं होगा. वहीं जो मामले लंबित हैं उसमें कोई आदेश या अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवाद के मामले में सबसे अधिक जिक्र इस वक्त वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का आता है. जिस पर सर्वे का आदेश हुआ था, जहां साल 2021 में नई याचिका दाखिल होने के बाद अदालत के आदेश पर फरवरी 2024 में मस्जिद के तहखाने में मौजूद मंदिर में पूजा शुरू हुई. इसके अलावा मथुरा की शाही ईदगाह का अभी मामला चल रहा है जहां 2020 में एक याचिका दायर की गई थी और फिर हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर तैनात कर सर्वे का आदेश दे दिया पर फिर सुप्रीम कोर्ट ने उस पर अंतरिम रोक लगा दी.
इसके अलावा जो मामला हाल में काफी चर्चा का है वह मामला संभल का है, जहां शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान बवाल हो गया था. यहां संभल की जामा मस्जिद का कोर्ट कमिश्नर से सर्वे का आदेश दिया गया था. पहले दिन सर्वे के दौरान तो मामला शांत था पर दूसरे दिन सर्वे के दौरान वहां हिंसा भड़क गई थी.
वहीं बदायूं की शम्सी मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर का भी एक मामला चल रहा है जिसमें सुनवाई होना बाकी है. दो दिन पहले ही जौनपुर की अटाला मस्जिद का मामला भी चर्चा में उस वक्त आ गया जब 16 तारीख को वहां सर्वे के लिए टीम गठित होने की बात कही गई थी. यहां अटाला मस्जिद को लेकर विवाद है कि यहां पहले अटाला देवी मंदिर था. इसके अलावा लखनऊ की टीले वाली मस्जिद का भी मामले चल रहा है, जहां यह दावा है कि औरंगजेब ने भगवान शेषनागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
यूपी के इन धार्मिक स्थलों पर चल रहा है विवाद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का यूपी में चल रहे मुकदमों जिसमें ज्ञानवापी, शाही ईदगाह, अटाला, नूरी जामा मस्जिद, संभल आदि शामिल हैं. उनका जिक्र करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता विकल्प राय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त आदेश से उत्तर प्रदेश में चल रहे उन मुकदमों में जिनमें सर्वे हो चुका है. उनमें सुनवाई हेतु नियत अगली तिथि तक कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित नहीं किया जा सकेगा.
मुकदमे दाखिल होंगे लेकिन रजिस्टर नहीं किया जाए- सुप्रीम कोर्ट
जिन मुकदमों में सर्वे किये जाने का आदेश पारित हो चुका है उनमें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हेतु नियत अगली तिथि तक सर्वे नहीं किया जाएगा. बाकी मुकदमें तो दाखिल किये जा सकेंगे लेकिन उनको रजिस्टर नहीं किया जायेगा और न ही सर्वे किये जाने का कोई आदेश पारित किया जा सकेगा.
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