Varanasi News:  ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग से जुड़ी याचिका पर वाराणसी की जिला जज कोर्ट से आए फैसले  के खिलाफ मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा है. मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति की अर्जी खारिज किए जाने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दरअसल दिल्ली की राखी सिंह समेत 5 महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में पिछले साल एक याचिका दाखिल की थी, याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना नियमित तौर पर किए जाने की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी.


वाराणसी जिला कोर्ट ने दिया था ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में चल रही है. जबकि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में आपत्ति दाखिल कर राखी सिंह समेत महिलाओं की याचिका को खारिज किए जाने की अपील की थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया था कि ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत यह अर्जी सुनवाई के लायक नहीं है. महीनों चली सुनवाई के बाद जिला जज की कोर्ट ने अगस्त महीने में अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था और फिर जिला जज एके विश्वेश की कोर्ट ने 12 सितंबर को इस पर अपना फैसला सुनाया था.


जिला जज ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज करते हुए राखी सिंह केस को चलते रहने की इजाजत दी थी. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट जाने की बात कही थी. ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में जिला जज के फैसले को चुनौती दी गई है.


याचिका में क्या बोला मुस्लिम पक्ष


 हाईकोर्ट में दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका में एक बार फिर दोहराया गया है कि 1991 के 'प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट' के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती. अर्जी में हाईकोर्ट का फैसला आने तक वाराणसी की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाए जाने की भी मांग की गई है. बता दें कि  ज्ञानवापी विवाद से जुड़े पांच मामले पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है. हालांकि राखी सिंह का केस पहली बार हाईकोर्ट आया है.


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