UP Student Slapping Case: मुजफ्फरनगर के प्राइवेट स्कूल में मुस्लिम छात्र को दूसरे छात्रों से थप्पड़ मरवाने और सांप्रदायिक आधार पर गालियां देने की आरोपी महिला टीचर को बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी महिला टीचर की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने आरोपी महिला टीचर तृप्ति त्यागी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को सही मानते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.
मुजफ्फरनगर की जिला कोर्ट ने अक्टूबर महीने में ही तृप्ति त्यागी की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया था. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपी महिला टीचर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.अदालत ने महिला टीचर को दो हफ्ते में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने को कहा है. हाईकोर्ट ने दो हफ्ते में सरेंडर करने पर ट्रायल कोर्ट से नियमों के मुताबिक नियमित जमानत पर फैसला लेने को कहा है. मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक वर्मा की सिंगल बेंच में हुई.
क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दूसरे छात्रों से था पिटवाया
यह मामला मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल से जुड़ा हुआ है. घटना पिछले साल अगस्त महीने की है. आरोपी महिला टीचर तृप्ति त्यागी के पास उस वक्त प्रिंसिपल का भी पदभार था. महिला टीचर तृप्ति त्यागी ने दूसरी क्लास में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र के खिलाफ सांप्रदायिक आधार पर टिप्पणियां की थी. उसे क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दूसरे छात्रों से थप्पड़ों से पिटवाया था. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. घटना के बाद प्रशासन ने स्कूल को बंद करा दिया था.
मंसूरपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी FIR
आरोपी महिला टीचर तृप्ति त्यागी के खिलाफ इस मामले में मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 323 - 504 और 295 (A) के साथ ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत केस दर्ज किया गया था. यह मामला पिछले साल भी इलाहाबाद हाईकोर्ट आया था. हाईकोर्ट ने पिछले साल आदेश जारी कर पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने का आदेश दिया था. यूपी सरकार द्वारा इस आदेश का पालन नहीं करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फटकार भी लगाई थी.
महिला टीचर तृप्ति त्यागी की मुश्किलें बढ़ना तय
इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद आरोपी महिला टीचर तृप्ति त्यागी की मुश्किलें बढ़नी तय है. अग्रिम जमानत की अर्जी में उसने खुद को बेकसूर बताते हुए दर्ज एफआईआर में सिर्फ 3 साल की सजा होने का हवाला दिया गया था. हाईकोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया.
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