UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने चुनावी स्टंट के जरिए जोर शोर से तैयारी शुरू कर दी है लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की सभी 6 विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि यह वो इलाका है जहां से मुजफ्फरनगर दंगा और गन्ने की मिठास शुरू होती है. पश्चिम उत्तर प्रदेश का जनपद मुजफ्फरनगर जहां अपनी गन्ने की मिठास के लिए जाना जाता है वहीं 2013 के दंगों के बाद मुजफ्फरनगर में चुनावी उठापटक को लेकर जहां हिंदू मुस्लिम और जातिवाद को लेकर चुनावी समीकरण तैयार किए जाते हैं.
कैसे भड़के थे दंगे
2013 का दंगा तब हुआ जब कवाल गांव में एक युवती से मुस्लिम युवक द्वारा छेड़छाड़ के बाद छात्रा के भाइयों द्वारा आरोपी की हत्या कर दी जाती है. उसके बाद मुस्लिम समाज द्वारा छात्रा के दोनों भाई गौरव और सचिन की निर्मम हत्या कर दी जाती है. मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा थाना क्षेत्र के गांव कव्वाल में ट्रिपल हत्या के बाद पंचायतों का दौर शुरू होता है और 7 सितंबर को नगला मंडोद की पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की स्थिति बन जाती है और कई लोगों की जान जाती है और सैकड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
बीजेपी सभी 6 सीटें जीती थी
नगला मंडोड़ की पंचायत हालांकि भारतीय किसान यूनियन के आयोजन पर शुरू हुई की गई थी लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बीजेपी की सरकार सत्ता में आई और मुजफ्फरनगर की सभी 6 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने बड़ी जीत हासिल की और मुजफ्फरनगर के सबसे दंगा ग्रस्त इलाके से आने वाले संजीव बालियान को मुजफ्फरनगर का सांसद बनाया. दंगे के 8 साल बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल है लेकिन एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है तो दूसरी ओर मुजफ्फरनगर दंगे के आरोप में घिरी समाजवादी पार्टी की सरकार और किसान और जाट बिरादरी के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह के पुत्र जयंत चौधरी सपा के साथ गठबंधन पर चुनाव लड़ रहे हैं.
सपा-रालोद प्रत्याशी के सामने बीजेपी के उमेश मलिक
समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन से मुजफ्फरनगर से केवल बुलढाणा विधानसभा पर जाट समाज का कैंडिडेट मैदान में उतारा गया है जहां गठबंधन प्रत्याशी के सामने बीजेपी के धुरंधर उमेश मलिक भी मैदान में हैं. गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान पिछले काफी समय से राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ता रहे हैं और दो बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक भी रह चुके हैं. मुजफ्फरनगर की सबसे हॉट सीट माने जाने वाली बुढ़ाना विधानसभा पर मुस्लिम और जाट बिरादरी पर पूरा चुनाव निगाहे लगाए हुए हैं.जहां एक तरफ गठबंधन प्रत्याशी को भारतीय किसान यूनियन का समर्थन दिए जाने की बात सामने आ रही है तो वहीं संजीव बालियान ने भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत से आशीर्वाद लेकर साफ कर दिया है कि बालियान खाप और बालियान खाप के चौधरी हमेशा समाज के हित में रहकर बात करेंगे.
कवाल कांड के पीड़ितों का क्या कहना है
एक तरफ जहां बालियान खाप से गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान चुनावी मैदान में हैं तो वहीं गठवाला खाप से उमेश मलिक अपने विधानसभा क्षेत्र में तीसरा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन पर लोगों की अपनी अपनी प्रतिक्रिया है लेकिन कवाल कांड के पीड़ितों का यही कहना है कि हम तो अपना घरबार भी छोड़ चुके हैं. अपना गांव छोड़कर शहर में रह रहे हैं. यह वही सरकार है जिसने मुजफ्फरनगर में दंगा कराया और आजम खान और अमीर आलम के कहने पर मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों को हवालात से छोड़ दिया गया. वहीं दूसरी ओर गठबंधन प्रत्याशी का कहना है कि जयंत चौधरी हमारे बड़े नेता हैं भारतीय जनता पार्टी ने मुजफ्फरनगर दंगा कराया और उसे इसमें कामयाबी मिली लेकिन हम हिंदू मुस्लिम के बीच बनी खाई को खत्म करना चाहते हैं और समाज में एकजुटता कायम करना चाहते हैं.
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